वास्तु के अनुसार घर में पूजा घर किस दिशा में बनवाना चाहिए?
● वास्तु शास्त्र के अनुसार किसी गृहस्थ घर मे सामान्य पूजा घर होना उचित माना गया है बिना किसी भव्यता के होना चाहिए ।
● घर के मंदिर मे कोई मूर्ति 9 इंच से बड़ी नही रखनी चाहिए ।
● घर के मंदिर मे ध्वजा या शिखर का उपयोग नही करना चाहिए ।
● पूजा करते समय ईश्वर स्वरूप के चरण पूजा करने वाले के छाती के समानांतर या थोड़े ऊंचे होने चाहिए ।
● पूजा कक्ष का द्वार दो पल्ले वाला होना चाहिए खिसकने वाला उचित नही रहता है ।
● पूजा घर – रसोई या बैडरूम मे नही होना चाहिए यदि घर छोटा हो तो अलग से गेट या पर्दा का उपयोग किया जाना चाहिए ।
● पूजा घर के स्लेव के ऊपर एवं नीचे अन्य सामान नही रखना चाहिए ।
● बड़ी पूजा-अर्चना के लिए ब्रह्म स्थान का उपयोग किया जा सकता है ।
● काॅमन वाल या सम्मलित दीवार से जुड़ा शौचालय नही होना चाहिए ।
● पूजा घर मे पानी के उपयोग के लिए तांबे के बर्तन प्रयोग करना अच्छा माना गया है ।
● गुरु या संत महात्मा का चित्र ईश्वर के साथ नही रखना चाहिए वास्तु शास्त्र के अनुसार उचित नही है ।
● जीवित श्रद्धेय या स्वर्गीय पूर्वज का चित्र ईश्वर के समकक्ष नही रखना चाहिए ।
● पूजा घर मे हवन कुंड दक्षिण -पूर्व दिशा मे उपयुक्त रहता है साधक का मुख पूर्व की ओर उचित रहता है ।
● त्रिकोणकार मूर्ति नही हो , आमने-सामने देव प्रतिमा न रखे ।
● पूजा घर का कलर सफेद ,क्रीम ,गुलाबी रंग उत्तम रहता है ।
आशा है आपकी जिज्ञासा के अनुसार पूजा कक्ष से संबंधित वास्तु से जुड़ी सभी आवश्यक जानकारी प्राप्त हुई होगी किसी शंका के लिए आपके सुझाव सादर प्रार्थनीय है जी ।