रेल पटरियों की थर्मिट वैडिंग क्यो की जाती है, अन्य वेल्डिंग क्यों नही?

यह बहुत बड़ी गलतफहमी है कि – रेल पटरियों की थर्मिट वैडिंग ही की जाती है, अन्य वेल्डिंग नही.

हकीकत में – रेल पटरियों की मुख्यतः फ़्लैश बट वेल्डिंग की जाती है

हालाँकि अब मोबाइल प्लांट आ गए हैं , पर बड़े पैमाने पर फ़्लैश बट वेल्डिंग किसी कारखाने में ही किया जा सकता है और 20 रेल को एक साथ वेल्डिंग करने के बाद उसका वजन 20 रेल X 60 किलो /प्रति मीटर X 13 मीटर = 15.6 टन हो जायेगा , सो उसे उठाने के लिए एक क्रेन भी चाहिए .

(रेल के एक टुकड़े की लंबाई 13 मीटर होती है और प्रति मीटर वजन 60 किलो तक होता है )

वेल्डिंग – जोड़ – के आधार पर मुख्यतः दो प्रकार का होता है – [1]

butt बट वेल्डिंग

lap लैप वेल्डिंग

फ़्लैश बट में – दोनों रेल के बीच कुछ गैप रखा जाता है – जिससे फ़्लैश होता है यानि चिंगारी निकलती है उसके बाद दोनों रेल को दबाव में साथ रखा जाता है और वेल्डिंग संपन्न हो जाता है .

इस वेल्डिंग के बाद रेल ऐसी दिखती है [3]

ऐसे 20 रेलों को एक साथ वेल्ड किया जाता है और 260 मीटर लम्बी रेल को ट्रैक पर ले जाया जाता है .

ट्रैक पर ले जाने के बाद उसे या तो थरमिट वेल्डिंग करते हैं या फ़्लैश बट (मोबाइल प्लांट से )

सो यदि थरमिट वेल्डिंग भी करें तो हर 20 फ़्लैश बट वेल्डिंग पर 1 थरमिट वेल्डिंग आएगा – यानि मात्र 5 %

ट्रैक पर वेल्डिंग करने में अभी भी थरमिट वेल्डिंग का प्रयोग होता है क्यंकि इसका प्लांट हल्का होता है और सस्ता होने के कारण सर्व सुलभ है . जबकि ट्रैक पर फ़्लैश बट वेल्डिंग करने के लिए भारी भरकम मशीन चाहिए – वो नीचे के विडियो में देख सकते हैं

फ़्लैश बट वेल्डिंग – कारखाना – कम जगह में है – जैसे पूर्व रेलवे और पूर्व मध्य रेल हेतु – प्लांट डिपो – मुगलसराय में यह काम होता है . इसीलिए – ज्यादा लोगों को यह पता नहीं है कि – मुख्यतः फ़्लैश बट वेल्डिंग होता है न कि थरमिट

सीधा याद रखें

कारखाना में 100 % फ़्लैश बट

ट्रैक पर मुख्यतः थर्मिट और कुछ कुछ फ़्लैश बट भी

सो लोगों को बस ट्रैक किनारे हो रहा – थर्मिट वेल्डिंग ही दिखाई देता है – पर इसका प्रतिशत 10% के आसपास ही है .

फ़्लैश बट वेल्डिंग कारखाना का वीडियो नीचे देखें।

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