रेलवे प्रथम श्रेणी का टिकट इतना महंगा क्यों होता है? क्या प्रथम श्रेणी में कोई विशेष सेवा प्रदान की जाती है?

रेलवे ‘प्रथम श्रेणी’ से आपका आशय वातानुकूलित प्रथम श्रेणी (First Class AC) से होगा क्योंकि अब ‘साधारण प्रथम श्रेणी’ के कोच सभी ट्रेनों में लगाने बन्द कर दिए गए हैं, कुछ हिल स्टेशन की ‘टाॅय ट्रेन’ को छोड़कर। साधारण प्रथम श्रेणी के कोच का निर्माण भी लगभग 1995 के बाद बन्द कर दिया गया। जैसे जैसे पुराने कोचों की लाइफ समाप्त होती गयी उन्हें हटा दिया गया। ‘मंगलोर-तिरुवनंतपुरम’ सैक्शन में साधारण प्रथम श्रेणी के कोच 2014 तक मैंने देखे हैं और यात्रा भी की है।

लम्बी दूरी की ट्रेनों में तीन तरह के वातानुकूलित कोच लगते हैं :—

वातानुकूलित प्रथम श्रेणी
वातानुकूलित टू टायर
वातानुकूलित थ्री टायर
अब आजकल राजधानी एक्सप्रेस और कई सुपरफास्ट एक्सप्रेस ट्रेनों में एल.एच..बी. (LHB) कोच ही लग रहे हैं तो में यात्रियों की गणना के लिए इन्ही एल.एच.बी. कोच की कैपेसिटी को लूँगा।

वातानुकूलित प्रथम श्रेणी – 24 यात्री
वातानुकूलित टू टायर – 54 यात्री
वातानुकूलित थ्री टायर – 72 यात्री
अब नई दिल्ली से मुम्बई सेन्ट्रल तक एक सुपरफास्ट ट्रेन (जैसे गोल्डन टैम्पिल मेल या पश्चिम एक्सप्रेस) में ऊपर वर्णित श्रेणियों में एक टिकिट का किराया इस प्रकार है:-

वातानुकूलित प्रथम श्रेणी – ₹ 3795/
वातानुकूलित टू टायर – ₹ 2230/
वातानुकूलित थ्री टायर – ₹1490/

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