रेलगाड़ी में तृतीय श्रेणी कब समाप्त किया गया? जानिए
भारतीय रेल में पहले तीन श्रेणियां – I, II, III ( फर्स्ट, सेकेण्ड और थर्ड क्लास ) का प्रावधान हुआ करता था।। कोच ( डब्बों ) में अलग अलग उपखण्ड ( कम्पार्टमेंट ) बना होता था।
III क्लास के डब्बे अलग होते, इसमें लकड़ी की बनी बेंचे हुआ करती थी ।
कुछ डब्बों में II एवं I क्लास के अलग अलग कम्पार्टमेंट होते। प्रत्येक कम्पार्टमेंट में दो या तीन लम्बे लम्बे बैंच बने होते, जिनपर नारियल की जटा और रेक्सीन के बने कुशन लगे होते। I क्लास में मोटे और II क्लास में पतले । डब्बे के एक छोड़पर एक, लकड़ी के एक बेंच बाला कम्पार्टमेंट बना होता, जिसमें l और II क्लास यात्रियों के परिचारक यात्रा करते।
वर्ष 1972 में III क्लास के III में से एक लकीर को मिटाकर II और II क्लास के II में से एक लकीर को मिटाकर I क्लास बना दिया गया और प्रचारित किया गया कि रेलवे से III क्लास को हटा दिया गया है।
डब्बों में कोई बदलाव नहीं किया गया। III क्लास के सुविधाओं को ही II क्लास नामकरण कर दिया गया ।
वस्तुतः, व्यवहारिक रूप में द्वितीय श्रेणी ही समाप्त हुआ।
बाद में, प्रथम श्रेणी के डब्बों में बदलाव किया गया। डब्बों के अंदर दो नीचे और दो ऊपर बर्थ बाले ‘कैबिन’ और एक बर्थ नीचे एक बर्थ ऊपर बाले ‘कूपे’ का प्रावधान किया गया।
फिर उसमें वातानुकूलन की व्यवस्था कर AC First Class बनाया गया। सामान्य (Non AC) प्रथम श्रेणी को धीरे धीरे ख़त्म कर दिया गया ।
उसी तरह,सामान्य (Non AC) शयनयान श्रेणी, फिर सामान्य(Non AC) टू-टीयर एवँ थ्री टीयर शयनयान श्रेणी बनाया गया।
धीरे धीरे इन्हें भी समाप्त कर AC में परिणत कर दिया गया।
वर्तमान में यात्रियों के लिए निम्न श्रेणियां है –
AC First Class
AC 2 Tier Sleeper Class
AC 3 Tier Sleeper Class
AC Chair Car
Chair Car ( Non AC, Reserved)
2S. ( 2nd, Unreserved)