राम मंदिर की सुनवाई के दौरान कुछ हैरान कर देने वाली बहस क्या हुई थी? जानिए
पांच अगस्त को अयोध्या में राम मंदिर का भूमि पूजन हुआ। इस भूमि पूजन के बाद सोशल मीडिया में अनेक तरह की बाते कि गई जिसमें सबसे ज्यादा लोगों ने पूछा की क्या वाकई में अयोध्या में राम मंदिर था।
इस विषय में, एक अच्छा रोचक किस्सा मिला, जो सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई का बताया जा रहा है।
जो शायद मुश्किल से कोई जनता होगा, पर जानना शायद सबको चाहिए !
जरूर पढ़े, और जाने जो कोई मीडिया नहीं बताता, कि SC कि सुनवाई में क्या बात होती थी, और क्या तथ्य पेश होते थे ?
राम मंदिर केस पर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई के दो रोचक प्रसंग।
पहली घटना-:
जज– मस्जिद के नीचे दीवारों के अवशेष मिले हैं। मुस्लिम पक्ष की वकील- वो दीवारें दरगाह की हो सकती हैं।
जज– लेकिन आपका मत तो यह है कि मस्जिद खाली जगह पर बनाई गई थी, किसी ढ़ांचे को तोड़कर नहीं।
वकील– सन्नाटा
जज– एसआईटी की खुदाई में कुछ मूर्तियां मिली हैं।
वकील– वो बच्चों के खिलौने भी हो सकते हैं। जज– उनमें “वराह” की मूर्ति भी मिली है जो हिंदू मान्यता के अनुसार भगवान विष्णु के अवतार थे.. क्या मुसलमानो में मूर्ति के साथ खेलने का प्रचलन था.?
वकील– घना सन्नाटा..!!
दूसरी घटना-:
वेदों में श्रीराम तो हैं ही साथ में अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि का भी सटीक उल्लेख है !!
श्रीराम जन्मभूमि के पक्ष में वादी के रूप में उपस्थित थे धर्मचक्रवर्ती, तुलसीपीठ के संस्थापक, पद्मविभूषण, जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी … जो विवादित स्थल पर श्रीराम जन्मभूमि होने के पक्ष में शास्त्रों से प्रमाण पर प्रमाण दिये जा रहे थे।
न्यायाधीश की कुर्सी पर बैठा 1 न्यायाधीश व्यक्ति मुसलमान था।
उसने छूटते ही चुभता सा सवाल किया, “आपलोग हर बात में वेदों से प्रमाण मांगते हैं, तो क्या वेदों से ही प्रमाण दे सकते हैं कि श्रीराम का जन्म अयोध्या में उस स्थल पर ही हुआ था?
जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी (जो प्रज्ञाचक्षु हैं) ने बिना एक पल भी गँवाए कहा , ” दे सकता हूँ महोदय”,और उन्होंने ऋग्वेद की जैमिनीय संहिता से उद्धरण देना शुरू किया जिसमें सरयू नदी के स्थानविशेष से दिशा और दूरी का बिल्कुल सटीक ब्यौरा देते हुए श्रीराम जन्मभूमि की स्थिति बताई गई है । कोर्ट के आदेश से जैमिनीय संहिता मंगाई गई और उसमें जगद्गुरु जी द्वारा निर्दिष्ट संख्या को खोलकर देखा गया और समस्त विवरण सही पाए गए।
जिस स्थान पर श्रीराम जन्मभूमि की स्थिति बताई गई है। विवादित स्थल ठीक उसी स्थान पर है और जगद्गुरु जी के वक्तव्य ने फैसले का रुख हिन्दुओं की तरफ मोड़ दिया।
मुसलमान जज ने स्वीकार किया , ” आज मैंने भारतीय प्रज्ञा का चमत्कार देखा … एक व्यक्ति जो भौतिक आँखों से रहित है, कैसे वेदों और शास्त्रों के विशाल वाङ्मय से उद्धरण दिये जा रहा था ? यह ईश्वरीय शक्ति नहीं तो और क्या है ?”