रामायण के युद्ध के बाद शूर्पनखा का क्या हुआ, वह कैसे मरी? जानिए

जब सूपर्णखा ने सुना कि राम ने सीता हो बचा लिया है तब उसने खुद ही बदला लेने की ठानी। सूपर्णखा ने याद किया कि कैसे राम और लक्षमण ने मिलकर उसकी बेइज्जती की थी और उसकी गरीमा छीनकर उसकी नाक काट दी थी। अपनी बहन की बेइज्जती का बदला लेने के लिए रावण ने सीता को धोखे बंदी बनाकर राम से बदला लेने का निर्णय लिया। राम ने अपनी पत्नी को बचाने के लिए रावण का वध कर दिया।

लंका में युद्ध जीतने के बाद राम अपनी पत्नी सीता और भाई लक्षमण के साथ अयोध्या लौट आए। अयोध्या आने के बाद यहां के लोगों ने सीता की पवित्रता पर सवाल उठाए और राम को मजबूर कर दिया कि वह सीता को छोड़ दें। सीता एक आज्ञाकरी पत्नी की तरह अपने पेट में पल रहे बच्चे के साथ अयोध्या छोड़कर चल दी। सीता सीधे घने जंगल की तरफ बढ़ी और वहां उन्हें वाल्मीकि मिले जो उन्हें अपने साथ अपनी कुटिया पर लाए।

जब सीता से मिली सूपर्णखा

सीता कुटिया में शांतिपूर्ण रह रही थी और अचानक एक दिन सूपर्णखा उनसे मिलने जंगल आई। उसके बाद सूपर्णखा ने सीता का मजाक उड़ा उन्हें याद दिलाया कि राम ने सीता को अस्वीकार कर दिया है जैसे एक बार उसे किया था। सूपर्णखा ने सीता को यह भी याद दिलाया की कि एक समय वह भी इस दर्द को झेल चुकी है जो आज सीता झेल रही है और यह देखकर वो बहुत खुश थी। सीता ने सूपर्णखा की सारी बातें शांतिपूर्वक सुनी और उसकी बात का बुरा ना मानते हुए हंसकर उसकी तरफ बेर देते हुए कहा, “यह बेर उतने ही मीठे हैं जीतने शबरी के बेर मीठे थे’। सूपर्णखा यह देखकर हैरान हो गई क्योंकि उसने सोचा था की सीता को दुखी देखके और करके वह सुख का अनुभव करेगी लेकिन यहां तो उल्टा हो गया।

साथ ही सीता ने सूपर्णखा से कहा, “कब तक हम किसी और से उतने ही प्रेम की उम्मीद कर सकते हैं जितना हम उन्हें करते हैं। अपने अन्दर की शक्ति को खोजों। खुद की भूख की परवाह किए बिना दूसरो को खिलाना सीखों।“

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *