रामलाल ओर सात मेंढकों की मजेदार कहानी को जरूर पढ़ें

एक बार की बात है।एक गरीब परिवार में रामलाल धीरे-धीरे जवान हो गया।वह बहुत ज्यादा पढ़ा-लिखा नही था।और वह सारा दिन खेलता रहता थे।एक दिन रामलाल की मां ने उससे कहा की अब तुम बड़े हो गए हो इसलिए तुम्हे कोई काम धंधा करना चाहिए।तो यह सुनकर रामलाल काम की तलाश में निकल पड़ा।

उसकी मां ने उसे रास्ते के लिए सात रोटियां बनाकर दी थीं।चलते चलते उसे भूख लग गयी और एक पेड़ के नीचे बैठ गया ।वह रोटी गिनते हुए कहने लगा- ‘एक खाऊं.. दो खाऊं.. तीन खाऊं या सातों खा जा जाऊं ?

उस कुएं में सात मेंढक रहते थे। उन्होंने रामलाल की आवाज सुनी तो डर गए। वे कुएं से बाहर आए।

उन्होंने कहा- ‘देखो, हमें मत खाना। हम तुम्हें यह घड़ा देते हैं। इससे जो मांगोगे यह देगा।रामलाल मान गया।

वह रोटियां और घड़ा लेकर वापस आ गया। मां से सारी बात बताई।मां ने घड़े से खूब दौलत मांगी। वह मालामाल हो गई। फिर वह बाजार से बताशे लाई। उसने घर के छप्पर पर चढ़कर बताशे बरसाए और रामलाल से उन्हें लूटने को कहा।

रामलाल ने अपने पड़ोसियों से कहा की हमारे पास एक घड़ा है। उससे जो मांगते हैं, देता है।रामलाल ने खूब बताशे लूटे और खाएं। मुहल्ले वालों को ताज्जुब हुआ कि इसके पास इतनी दौलत कहां से आई।

मुहल्लेवालों ने उसकी मां से वह घड़ा दिखाने को कहा।मां ने कहा ये बकवास करता है। मेरे पास कोई ऐसा घड़ा नहीं है।

फिर रामलाल बोला क्यों, मैंने घड़ा दिया था न! उस दिन छप्पर से बताशे भी बरसे थे।मां ने मुहल्ले वालों से हंसकर कहा यह तो पागल है कुछ भी कहता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *