राफेल अगर इतना ही घातक हथियार है तो अब तक सिर्फ इजिप्ट, कतर और भारत ने ही राफेल क्यों खरीदा है, बाकी देशों ने क्यों नहीं?

राफेल एक घातक विमान (हथियार) हैं। लेकिन इसकी दूसरी विशेषता इसका जरूरत से अधिक महंगा होना भी हैं।

जाहिर हैं, जो युध्दक विमान या सामरिक हथियार अधिक महंगे होंगे उनके पुर्जे, मेंटेनेंस एवं अपग्रेडेशन भी उतना ही महंगा होगा तथा उन्हें इस्तेमाल करने वाले सैनिकों के लिए समय-समय पर विशेष प्रशिक्षण भी आयोजित करने होंगे।

अतः किसी भी सामरिक हथियार का घातक होना उसका एक पहलू हैं और उसकी विशिष्ट कीमत पर अधिकांश देशों का खरीदा जाना उसका दूसरा पहलू हैं।

रक्षा क्षेत्र में हथियारों की खरीदी कई कारणों पर निर्भर करती हैं, जिसमे देश की राष्ट्रीय आय, खरीदे जाने वाले देश से आर्थिक एवं सैन्य संबंध, हथियारों की जरूरत तथा देश की रक्षा नीति प्रमुख हैं।

राफेल विमान के गुणगान तो पाकिस्तान जैसे कई देश करते हैं किंतु उनको सेना में शामिल करना उनके रक्षा बजट से बाहर हैं। इसी प्रकार कुछ अन्य देशों की क्षमता उसको खरीदने की हो भी सकती हैं किंतु उनकी जरूरत राफेल की कीमत से कम हो सकती हैं।

भारत जैसे देश मे बुगाटी या रोल्स रॉयस जैसी कार का मारुति या ह्युंडई कार से कम बिक पाना उसकी लोकप्रियता या परफॉर्मेंस में कमी नही हैं इसी प्रकार का अर्थशास्त्र सामरिक हथियारों के लिए भी लागू होता हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *