रात 12 बजे के बाद तक सोने वालों जान लो ये काम की बातें

एक मशहूर ऑथर बेंजामिन फ्रैंकलीन ने कहा था अर्ली टू बेड एंड अर्ली टू राइज, मेक ए मैन हेल्दी, वेल्थी एंड वाइज यानी जल्दी सोना और जल्दी उठना एक व्यक्ति को स्वस्थ और समृद्ध बनाता है। ऐसा ही कुछ हमारी संस्कृति में भी कहा जाता है। लेकिन साइंस के अनुसार जल्दी सो कर उठने वालों की बौद्धिक क्षमता देर रात तक जागने वाले व्यक्तियों की तुलना में कम होती है।

लेकिन ये सुनकर आप देर रात तक जागना शुरू मत कर देना, क्योंकि एक रिसर्च में जल्दी सो कर उठने वाले व्यक्तियों को आशावादी, ज्यादा फुर्तीला और ज्यादा कॉन्शियस बताया गया है। दरअसल जल्दी सो कर उठने वाले लोग सूर्य के नेचुरल लाइट में ज्यादा एक्टिव रहते हैं। जो कि उनकी बॉडी को एनवायरनमेंट के साथ सिंक रखता है और ज्यादा स्वस्थ भी।

एमआरआई स्कैन में पता चला है की दिमाग सुबह के टाइम ही ज्यादा एक्टिव रहता है और यह प्लैनिंग करता है, इच्छा शक्ति बढ़ाता है, डिसीजन लेता है और यह इच्छाशक्ति ही है जो हमें बड़ी सी बड़ी चीजों को कर पाने के लिए प्रोत्साहित करती है। मतलब जल्दी सो कर उठना किसी भी लिहाज से खराब नहीं है। बल्कि यह हमारे लिए बहुत ही ज्यादा जरुरी है कि हम सुबह जल्दी उठें।

लेकिन जैसा कि हमने शुरू में बताया कि देर रात तक जागने वाले व्यक्तियों की बौद्धिक क्षमता जल्दी सोने वाले व्यक्तियों से ज्यादा होती है तो क्या आपको भी अपनी बौद्धिक क्षमता बढ़ाने के लिए देर रात तक जागना चाहिए? इसके लिए आपको पहले कुछ बातें जानना जरूरी है। दरसल देर रात तक जागने वाले व्यक्ति समाज में लोगों से जुड़ नहीं पाते यानी वह सोसायटी के साथ सिंक नहीं रहते है। दुनिया में जो काम लोग दिन में पहले ही कर लेते हैं वह देर रात तक जागने वाले लोग लेट करते हैं। मानो वह ऐसे जी रहे हैं जैसे मानो वह किसी दूसरे देश के टाइम जोन में जी रहे हैं।

मान लो कोई व्यक्ति रात को 3:00 बजे सोए और उठे सुबह 11:00 बजे, उसके लिए दिन की शुरुआत तो 11:00 बजे से ही हुई है। उसे दिन 11:00 बजे से शुरू करना है यानि वह समाज में अभी हर काम में पीछे है। लेकिन अगर कोई व्यक्ति रात भर जागकर कुछ घंटे तक सोए और सुबह जल्दी उठे तो नींद की कमी से उसके ब्रेन की फंक्शनिंग पर असर पड़ता है और इन ब्रेन चेंजेज को फिजिकली देखा भी जा सकता है।

कम सोने से ब्रेन में हार्मोन के पास होने के लिए रास्ता भी कम हो जाता है। जिससे हमें खुश रखने वाले हार्मोन्स जैसे -डोपामाइन इत्यादि भी कम बहने लगते और इसी कारण से देर रात तक जागने वाले व्यक्तियों में आत्मशक्ति की कमी और आलस साफ-साफ दिखता है।

लेकिन देर रात तक जागने वालों का दिमाग कोर्टिसोल लेवल को बढ़ा देता है जो कि एक स्ट्रेस हार्मोन्स है। इसके बढ़ जाने से रात तक जागने वाले व्यक्ति किसी भी अचानक से आने वाले खतरे के प्रति सजग हो जाते हैं और ये रिस्क उठाने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। जिसे नए-नए मौके इनके लिए बनने लगते है। इसी वजह से ऐसे लोग क्रिएटिव हो जाते है और आर्थिक रूप से अपना विकास करते हैं। ऐसे लोग किसी चीज को बहुत ही अच्छी तरह से समझने की शक्ति को विकसित कर लेते हैं और यही उनकी बौद्धिक क्षमता को बढ़ाती है।

फिलहाल आप हमे कमेंट करके बताइए आप रात को कितने बजे सोते हो और कितने बजे सुबह उठते हो।उम्मीद करते हैं दोस्तों की आपको यह जानकारी पसंद आई होगी। ऐसी ही कई अन्य जानकारियों के लिए बने रहिए हमारे साथ। हमारे साथ जुड़ने के लिए आप सभी का तहे दिल से धन्यवाद, क्योंकि आप हैं तो हम हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *