यो – यो टेस्ट क्या होता है?

यह टेस्ट सबसे पहले फुटबॉल खेलने वाले खिलाडियों के लिए बनाया गया था बाद में इसे हॉकी और अन्य खेलों में भी इस्तेमाल किया जाने लगा है. आइये इस लेख में इस टेस्ट के बारे में जानते हैं.

अगर क्रिकेट की बात करें तो सबसे पहले इसे ऑस्ट्रेलिया की क्रिकेट टीम के खिलाडियों के लिए अनिवार्य किया गया था लेकिन अब इस टेस्ट का इस्तेमाल भारत सहित विश्व की हर क्रिकेट टीम में किया जाता है.

यो यो टेस्ट क्या होता है?
यो यो टेस्ट खिलाड़ी की फिटनेस और स्टेमिना को जांचने के लिए किया जाता है. यह टेस्ट पूरी तरह से टेक्नोलॉजी की मदद से लिया जाता है. भारत में इस टेस्ट का आयोजन राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी, बैंगलोर में लिया जाता है क्योंकि यह सॉफ्टवेयर वहीँ पर इन्सटाल्ड है.

यो यो टेस्ट एक सॉफ्टवेर आधारित टेस्ट है. इसमें 20 मीटर पर एक शंकु रखा होता है जिसमें खिलाड़ियों को दौड़ना होता है. यो यो टेस्ट बीप टेस्ट का वेरिएशन है और इसे डेनमार्क फुटबॉल फिजियोलॉजिस्ट जेन्स बैंग्सबो द्वारा विकसित किया गया था.

यो-यो टेस्ट में 23 लेवल होते हैं. खिलाड़ियों का टेस्ट पांचवें लेवल से शुरू होता है. पांचवें और नौवें लेवल पर एक शटल होता है जबकि 11 वें स्पीड लेवल में 2 शटल होते हैं.
हर शटल के बीच खिलाड़ी को 40 मीटर की दूरी तय करनी पड़ती है. जो अलग-अलग लेवल पर अलग गति से होती है. लेवल बढ़ने के साथ साथ समय कम होता जाता है. दो शटल के बीच की दूरी तय करने के लिए खिलाड़ी को 10 सेकेंड मिलते हैं.

12वें और 13वें स्पीड लेवल तक पहुंचने पर शटल संख्या बढ़कर 3 हो जाती है. यो-यो टेस्ट का आखिरी लेवल 23वां है. अभी तक कोई भी खिलाड़ी इसके नजदीक तक नहीं पहुंच पाया है.

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