यह दुनिया का सबसे अजीब जीव जो बिना मुंह के भी खा जाता है पूरी व्हेल मछली को जानिए कैसे
मोंटेरे बे एक्वेरियम रिसर्च यूनिट” 2002, एक पनडुब्बी के माध्यम से समुद्र की गहराइयों में उतरा। अभियान के दौरान एक दिलचस्प ‘कीड़े’ की खोज हुई। जो इंसानों के लिए, अभी तक बिल्कुल अजनबी था। इस कीड़े के शरीर में ना तो मुंह होता है, और ना ही पेट होता है। फिर भी यह बड़े से बड़े जानवरों की हड्डियों को, ‘समुद्र’ में खा जाते हैं।
हड्डी खाने की क्षमता के आधार पर’ इस जीव को ‘ज़ोंबी वर्म’ नाम मिला है। इनके कई नाम है बोन वर्म, बोन ईटिंग वर्म, ‘जोंबी वर्म’, स्केलेटन मेल्टर आदि ।
दुनिया में कैसे एक ‘कीड़ा’, बिना मुंह या पेट के भोजन खा सकता है। मुझे लगता है कि पहले आपको यह बताना महत्वपूर्ण है कि, ‘ज़ोंबी वर्म’ का भोजन क्या है?
‘व्हेल की हड्डियाँ’ ! यह सही है, ये मुखविहीन प्रणी ‘व्हेल की हड्डियों’ को खाते हैं। और उन्हे नष्ट करते हैं।
एक मिनट रुकिए! जब उनके पास मुंह नहीें है, हड्डी को ‘ड्रिलिंग’ करने में सक्षम कोई उपांग नहीं है, तो वे ‘व्हेल की हड्डी’ के अंदर कैसे पहुंच सकते हैं?
शोधकर्ताओं को पता चला कि, ये कीड़े एसिड का उत्पादन करने में सक्षम हैं। जो वास्तव में हड्डी एवं मांस को गला देते है।
परन्तु अब प्रश्न उठता है कि, इनके पास मुंह तो होता नहीं! यह हड्डी को खाते कैसे हैं?
दरअसल, यह हड्डी को नहीं खाते है। इन्होने पानी में कुछ विषेश प्रकार के बैक्टिरिया के साथ ,अच्छा तालमेल बैठाया हुआ है। जिसे अन्य जीवों के साथ ‘सहजीवन’ बनाना कहते है।
इस ‘सहजीवन’ के तहत, ‘जोंबी वर्म’, ‘बैक्टीरिया’ के खाने के लिए हड्डियों को गलाने का काम करते है। बदले में ‘बैक्टीरिया’, मृत व्हेल के शरीर से वसा एवं प्रोटीन खाते हैं। और इस प्रक्रिया में वे ‘जोंबी वर्म’ के लिए आवश्यक पोषक-तत्वों केा छोड़ते है। जिन्हें जोंबी वर्म अपनी ‘त्वचा’ के माध्यम से अवशोषित कर लेते हैं। इस प्रकार ‘जोंबी वर्म’ को भी भोजन मिल जाता है।
हड्डी खाने की क्षमता के आधार पर इस जीव को ज़ोंबी वर्म नाम मिला है।