यदि आपके बच्चे का मन पढ़ाई में नहीं लगता तो वास्तुशास्त्र के ये उपाय अपनाएं

आजकल प्रतिस्पर्धा का दौर चल रहा है। आजकल बच्चों को पढ़ाई के साथ साथ अन्य क्षेत्रों में भी सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना पड़ता है। जहां माता-पिता अपने बच्चे की पढ़ाई को लेकर परेशान हैं। वही बच्चे अपने कैरियर को लेकर परेशान है।

इधर बच्चों के पास मनोरंजन के साधन बढ़ते जा रहे हैं। टीवी और मोबाइल जैसे इलेक्ट्रॉनिक गैजेट बच्चों की एकाग्रता को भंग कर रहे हैं। जिससे बच्चे का मन पढ़ाई में नहीं लग रहा है। यह बच्चों के साथ साथ उनके अभिभावकों के लिए भी परेशानी का कारण बना हुआ है।

इस परिस्थिति से बचने के लिए हम वास्तु शास्त्र का सहारा ले सकते हैं। वास्तु में कई ऐसे उपाय हैं जिनका उपयोग करके विद्यार्थियों की एकाग्रता बढ़ाई जा सकती है। बच्चों के स्टडी रूम को वास्तु के अनुसार व्यवस्थित करके आप बच्चों का मन पढ़ाई में लगा सकते हैं। जिससे आपके बच्चे की एकाग्रता में निरंतर वृद्धि होती है।

कई शोधों के मुताबिक बच्चों के चारों ओर का वातावरण उनके अध्ययन को प्रभावित करता है। यदि आपके बच्चा ऐसे कमरे में पढ रहा है। जहां पर चीजें अव्यवस्थित हो तो आपके बच्चे का मन कभी भी पढ़ाई में नहीं लगेगा। वास्तु शास्त्र तो यहां तक कहता है कि बच्चों की पढ़ाई पर कमरे का रंग, कमरे में लगी तस्वीरें और टेबल और कुर्सी की स्थिति भी प्रभाव डालती है। चलिए हम आपको अपने बच्चे के स्टडी रूम को बेहतर बनाने के लिए वास्तु शास्त्र के मुताबिक कुछ टिप्स देने जा रहे हैं।

अध्ययन कक्ष की दिशा व रंग

वास्तु शास्त्र के मुताबिक पश्चिम और पश्चिमी नैऋत्य दिशा में बना अध्ययन कक्ष बच्चों की एकाग्रता बढ़ाने के लिए सर्वश्रेष्ठ बताया गया है। बच्चों का अध्ययन कक्ष पूर्व दिशा और उत्तर दिशा में भी बनाया जा सकता है।

यदि बच्चे का अध्ययन कक्ष पश्चिम दिशा में बना हो तो उस अध्ययन कक्ष में हल्का क्रीम कलर करवाना चाहिए। यदि अध्ययन कक्ष पूर्व दिशा में बना हो तो दीवारों पर हल्का हरा कलर करवाना चाहिए।यदि कमरा उत्तर दिशा में बना हो तो दीवारों पर हल्का नीला कलर करवाना चाहिए। यदि फिर भी आपको कोई दुविधा हो तो आप क्रीम अथवा वाइट कलर दीवारों पर करवा सकते हैं। यह रंग एकाग्रता बढ़ाने में सहायक होता है।

स्टडी टेबल व अन्य सामान

आपको अपने अध्ययन कक्ष में स्टडी टेबल इस प्रकार करनी चाहिए कि अध्ययन करते वक्त आपका मुंह पूर्व अथवा उत्तर दिशा में ही रहे। टेबल का आकार वर्गाकार अथवा आयताकार होना चाहिए। कभी भी गोल आकृति की टेबल नहीं लेनी चाहिए। स्टडी टेबल ऐसी जगह पर रखनी चाहिए जिसके आगे अथवा पीछे किसी भी कमरे का दरवाजा ना हो। यदि आप अपनी स्टडी टेबल को पश्चिम दिशा में रखते हैं तो आपके बच्चे का मन पढ़ाई में ज्यादा लगेगा।

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