मौर्य वंश का अंतिम शासक किसे माना जाता है ?

मौर्य वंश कि स्थापना चन्द्रगुप्त मौर्य ने कि चाणक्य कि मदद से. चाणक्य विष्णुगुप्त नाम के पाटलिपुत्र के ब्राह्मण थे तथा अति कुशाग्र तथा तीक्ष्ण बुध्दि क्रोधी स्वभाव और निश्चित दृढ व्यक्तित्व के धनी व्यक्ति थे. इन्होने ही चन्द्रगुप्त के साथ मिलाकर योजनावद्ध तरिके से महाशक्तिशाली मगध नरेश महापादमनंद के पौत्र धननंद को युद्ध मे छल बल से हराकर पाटलिपुत्र मे मौर्य साम्राज्य स्थापित किया. नन्द बड़ा ही शक्तिशाली राजवंश था.

मिश्र के सम्राट अलेक्सान्द्र ने भी पद्म नन्द कि शक्ति से घबराकर मगध पर आक्रमण नहि किया था जबकि उसने भारत कि उत्तर पश्चिम सीमा पर स्थिति राज्य तक्षशिला के ाम्भिक और मालवा राज राजा पुरुष को आक्रमण कर हरा दिया था और इस क्षेत्र मे अपना शाशक नियुक्त कर दिया था सिल्यूकस. सन 322 ईशा पूर्व चंद्र गुप्त राजा बना. चक्रवर्ती सम्राट हुआ और ईशा पूर्व 298 तक इसने साशना किया. चन्द्रगुप्त ने अपनी शक्ति से बैक्टीरिया के एलेग्जेंडर द्वारा नियिक्त भारतीय प्रदेशों के शाशक सिल्यूकस को हराया और उसे मज़बूर कर दिया भगा दिया भारत सीमा से.

भारत भूभाग को स्वतंत्र कराया और उसकी बेटी हेलेना से शादी कि जो अति सुंदर थी. इसने अपने जीवन के अंत समय मे जैन धर्म अपना लिया तथा करनाटक मे जाकर रहने लगा. इसके बाद इसका पुत्र विन्दुसार फिर अशोक राजा बने. अशोक पहले बड़ा क्रूर था. उसने उज्जैनी से राज्य आरम्भ किया था. विन्दुसार उसे पसंद नहि करता था. विन्फूसार के अन्य एक सौ पुत्रो कि हत्या के बाद अशोक सम्राट बना. अशोक ने कलिंग उड़ीसा पर जितने के लिए आक्रमण किया जो कि एक लोजतान्त्रिक गंराज्योंवठा. बड़ा भयंकर युद्ध हुआ और एडहॉक इस जनसंहार से द्रवित हो गया तथा अहिबस्क बन गया. शांतिदूत बन गया. अशोक ने बौद्ध धर्म अपना लिया. उसने अहिंसा तथा जनकल्याण को अपना मार्ग बनाया.

अशोक को प्रियदर्शन और बुद्ध धर्म मे बुद्ध के वाढ सबसे महान व्यक्ति माना जाता है. इसने बुद्ध धर्म दक्षिण तथा मध्य एशिया मे तथा दूर दूर अफ़ग़ानिस्तान ईरान आदि मे भी फैलाया. यह समस्त भारत का सबसे बड़ा सम्राट था. इसके पास विशाल हादती तथा अश्व और रथ सेना पदातिक बल के साथ थी.

इस वंश का अंतिम शाशक ब्रहद्रथ था जिसके शाशन का अंत सन 185 ईशा पूर्व मे उसके सेनापति पुष्यमित्र शुंग ने किया. ब्रहद्रथ एक बौद्ध धर्म अनुयायी था. शांतिप्रिय राजा था. सेना कि स्थिति कमजोर थी. राज्य कि सिमाये बौद्ध धर्म के प्रचार प्रसार के कारण, शांति अहिसा के सिद्धांत के कारण सिकुड़ती जा रही थी. भारत भूमिमपर बाहरी खतरा पश्चिमी उत्तरी सीमा से बढ़ गया था. इस समय देश कि सुरक्षा व्यवस्था पर मौर्य राजा को उददीन देखकर उनके ब्राह्मण सेनापति पुष्यमित्र शुंग को आगे आना पढ़ा और उसने एक दिन राजा को सैनिक प्रेड मे मार दिया और मौर्य शाशन पर अपना अधिकार कर लिया. यह ब्रहद्रथ मौर्य साम्राज्य का अंतिम दसवां साधक था.

लोग कहते है कि दशहरा इसी दिन से मनाया जाता है क्योंकि दसवे शाशक को हराया. कुछ लोग पुष्यमित्र शुंग को ही राम मानते है. ब्राह्मण हिंदुत्व तथा सनातन धर्म का बोलवाला बढ़ गया. कर्मकांड को बढ़ावा हुआ. बौद्ध धर्म के लोगों कि इस सम्वन्ध मे यही मान्यता है. पाखंड ने जगह बबायी और अहिंसा कि जगह बलि, शांति कि जगह बल प्रयोग शक्ति ने स्थान ग्रहण किया.

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