मोदी सरकार द्वारा रेल का निजीकरण करने से रेल कर्मचारियों को कैसे फायदा होगा ?

1. सरकार का तर्क है कि निजी भागीदारी के तहत बनने वाली सभी ट्रेनें ‘मेक इन इंडिया’ प्रोजेक्ट के तहत बनेंगी जिससे रोजगार पैदा होगा जो कि एक बहुत छोटा तर्क है क्योंकि ट्रेनें बिना निजी सेक्टर को दिए बिना भी ‘मेक इन इंडिया’ प्रोजेक्ट के तहत बन सकतीं हैं.

2. ट्रेनों का रखरखाव, निजी क्षेत्र द्वारा किया जायेगा जिससे उनमें साफ सफाई रहेगी.

3. निजी क्षेत्र में जाने से ट्रेनें समय पर पहुंचेगीं.यह तर्क भी बहुत मजबूत नहीं है क्योंकि सरकार उन कमियों को दूर कर सकती है जिसकी वजह से ट्रेनें लेट होतीं हैं. निजी प्लेयर ऐसा क्या करेंगे कि ट्रेनें लेट नहीं होंगी?यदि निजी प्लेयर्स ट्रेनें लेट होने से रोक सकते हैं तो फिर सरकार क्यों नहीं?

4. यात्रियों को बेहतर सुरक्षा मिल सकेगी क्योंकि निजी प्लेयर ज्यादा पैसा खर्च करके नयी तकनीकी लायेंगे. इस तर्क में थोडा दम है क्योंकि सरकार का फिस्कल डेफिसिट बढ़ता जा रहा है और सरकार के पास और अधिक धन नहीं है.

5. टिकटों के बीच डिमांड और सप्लाई के बीच के अंतर को ख़त्म करने में मदद मिलेगी. क्योंकि ट्रेनों की संख्या में बढ़ोत्तरी होगी.

6. इन ट्रेनों को इस तरह से बनाया जायेगा ताकि इनकी मैक्सिमम स्पीड 160 किमी रखी जा सके.इससे लोगों के समय की बचत होगी.

7. रेलवे के निजीकरण से सबसे बड़ा नुकसान यह है कि इससे बड़ी संख्या में सरकारी नौकरियां ख़त्म होंगीं क्योंकि निजी प्लेयर्स कम लोगों से ज्यादा काम करवाकर लाभ अधिकतम करना पसंद करेंगे.

8. इस बात की भी संभावना है कि प्राइवेट ट्रेनों को क्लियर सिग्नल दिया जाये जिससे वो ट्रेनें समय पर पहुंचेंगी और सरकारी ट्रेनें स्टेशन के बाहर खड़ी होकर सिग्नल का इंतजार ही करतीं रहेंगीं.

9. निजीकरण का सबसे भयंकर प्रभाव रेलवे के किरायों को बढ़ोत्तरी का होगा, जिसे गरीब और मध्यम वर्ग बर्दाश्त नहीं कर पायेगा.

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