मिस्र में इतनी अधिक संख्या में पिरामिड क्यों बनाए जाते थे? इसके पीछे क्या वजह है जानिए
मिस्र के पिरामिड वहां के तत्कालीन फैरो (सम्राट) गणों के लिए बनाए गए स्मारक स्थल हैं, जिनमें राजाओं के शवों को दफनाकर सुरक्षित रखा गया है. इन शवों को ममी कहा जाता है.
प्राचीन मिस्रवासियों की धारणा थी कि उन का राजा किसी देवता का वंशज है, अत: वे उसी रूप में उसे पूजना चाहते थे. मृत्यु के बाद राजा दूसरी दुनिया में अन्य देवताओं से जा मिलता है, इस धारणा के चलते राजा का मकबरा बनाया जाता था और इन्हीं मकबरों का नाम पिरामिड रखा गया था.
दरअसल, प्राचीन मिस्र में राजा अपने जीवनकाल में ही एक विशाल एवं भव्य मकबरे का निर्माण कराता था ताकि उसे मृत्यु के बाद उस में दफनाया जा सके. यह मकबरा त्रिभुजाकार होता था. ये पिरामिड चट्टान काट कर बनाए जाते थे. इन पिरामिडों में केवल राजा ही नहीं बल्कि रानियों के शव भी दफनाए जाते थे.उनके शवों के साथ खाद्यान, पेय पदार्थ, वस्त्र, गहनें, बर्तन, वाद्य यंत्र, हथियार, जानवर एवं कभी-कभी तो सेवक सेविकाओं को भी दफना दिया जाता था.
मिस्र में १३८ पिरामिड हैं और काहिरा के उपनगर गीज़ा में तीन लेकिन सामान्य विश्वास के विपरीत सिर्फ गिजा का ‘ग्रेट पिरामिड’ ही प्राचीन विश्व के सात अजूबों की सूची में है. दुनिया के सात प्राचीन आश्चर्यों में शेष यही एकमात्र ऐसा स्मारक है जिसे काल प्रवाह भी खत्म नहीं कर सका. यह पिरामिड ४५० फुट ऊंचा है.