महारानी पद्मिनी को राजा रत्न सेन किस देश से स्वयंवर में जीत कर लाए थे?
महारानी पद्मिनी का ऐतिहासिक नाम पद्मावती ज्यादा प्रचलित है । महारानी का काल 13वी या 14वी सदी में बताया जाता है । महारानी की अधिकतर जानकारी मालिक मुहम्मद जायसी की कविता पद्मावत से मिलती है । पद्मावत फारसी में लिखा गया काव्य है । जायसी के अनुसार पद्मिनी सिंघल साम्राज्य की राजकुमारी थी । कई जगह इतिहास में सिंघल का अर्थ वर्तमान श्रीलंका से और कई जगह जैसलमेर की सिंघल जाती से लिया गया है दोनों में मतभेद है ।
कहा जाता है पद्मिनी के पास हिरामन नाम का तोता था जो उनके साथ काफी समय से था । रानी उसी से अपने मन की अधिकतर बात कहा करती थी । एक दिन वह तोता राजकुमारी पद्मिनी के पास से उड़ गया और उड़ते हुए चित्तौड़ जा पहुंचा उस तोते को एक शिकारी ने पकड़ लिए और राजा रतन सेन को भेंट कर दिया । हिरामन ने राजा से कहा कि वह उसे मुक्त कर दे बदले में वह अती सुंदर राजकुमारी के बारे में बताएगा राजा ने उसे मुक्त किया और तोते ने राजकुमारी पद्मिनी के बारे में सब कुछ बताया ।
रत्न सेन राजकुमारी की सुन्दरता सुनकर इतने प्रभावित हुए कि राजकुमारी को खोजने निकल पड़े तब काफी प्रयास के बाद राजकुमारी के बारे में पता लगा और उनके स्वयंवर को उन्होंने जीता भी ।
अतः यह कहा जा सकता है कि रानी पद्मावती सिंघल साम्राज्य की राजकुमारी थी । अधिकतर श्रीलंका का पुराना नाम सिंघल होने कि वजह से यही माना जाता है कि राजकुमारी वर्तमान श्रीलंका से थी ।