महाराणा प्रताप और छत्रपति शिवाजी महाराज के बीच क्या कोई पारिवारिक रिश्ता था? जानिए

ज़ब क्षत्रपति शिवशजी महाराज ने स्वतंत्र राज्य स्थापित कर लिया और पांच मुसलमानी दक्किन की रियासतों से ही क्षेत्र जीतकर और मुग़लों को मुसीबत पैदा कर स्वतंत्र राज्य स्थलपित कर दिता फिर स्वयं को क्षत्रिप्ति बनने हेतु सभा आयोजित कर राजा बनने की कोशिश की. महारास्ट्रा के ब्राह्मण और क्षत्रिय इस बात से सहमत न हुए की एक राजपूत और ब्राह्मण से अलग जाती का व्यक्ति कैसे राजा बन सकता है.

अतः मतभेद हो गए की पिछड़े समुदाय का व्यक्ति चाहे सामर्थ्यवान हो राज्य स्थापित करें व्यक्स्था संचालित करें लेकिन राजा नहि बन सकता. राजा बनने का अधिकार ब्राह्मण या क्षत्रिय को ही है. समस्ज की व्यवस्था को ध्यान रखकर शिवशंजी महाराज ने बनारस से पंडित बुलवस्ये और उनके निर्देधन में मराठी ब्राह्मणो की इच्छा के विरुद्ध सुर्य वंश के मेवाड़ के महाराणाओं से सम्वन्ध स्थापित कर स्वयं को राजपूत वंशी मनवाकर ही स्वराज्य रायगढ़ में स्थापित किया.

ऐसा कहा जाता है की मेवाड़ से ज़ब उदय सिंह राजा बने तब उन्होंने तत्कालीन राणा बनवीर को राणा पद से पदच्युत किया. राणा बनवीर एक ज़ालिम हत्यारा क्रूर और मेवाड़ में कुख्यात था. वह राणा सांगा के बड़े भाई पृथ्वीराज का लहवस पुत्र था या दासी पुत्र था. समय की बदली परस्तिथि में उसे सांगा जी के बाद राणा सांगा कर पुत्र राणा विक्रमादित्य के गुजरात सुल्तान मेहमूद बगेड़ा से हारने पर राणा बनने का अवसर मिला था. इस समय ही पन्ना धाय ने उदय सिंह की जान बचाई थी

और अपनर बेटे चंदन को कुरवन किया फिर उदय सिंह को कुम्भलगढ़ भेजा जहां उनका पालन पोषण छिपकर किया गया. इसी बनवीर को उदय सिंह ने मारा नहि था, बल्कि यह दककन चला गया था और शिवाजी इसी बनवीर के वंशज बतए जाते है. इस तरह दोनो राणा प्रताप और शिवाजी एक दूसरे के सम्वन्धी थे और राणा वंश से ही थे.

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