महाभारत के वो हथियार हम कभी भी नहीं बना सकते हैं
1.सुदर्शन चक्र – कहते हैं कि सुदर्शन चक्र एक ऐसा अस्त्र है जिसे छोड़ने के बाद यह लक्ष्य का पीछा करता और उसका विध्वंस करके छोडे गए स्थान पर वापस आ जाता था इस हथियार को ब्रह्मांड का सबसे खतरनाक हथियार माना जाता है जो भगवान विष्णु के तर्जनी अंगुली में रहता है शास्त्रों के मुताबिक इसका निर्माण भगवान शिव ने किया था भगवान विष्णु ने कठोर तपस्या करके इसे वरदान स्वरुप शिव से प्राप्त किया था भगवान कृष्ण को यह सुदर्शन चक्र भगवान परशुराम से मिला था
- ब्रह्मास्त्र – पुराणों में इसे बहुत ही खतरनाक हथियार माना गया है जिसे भगवान ब्रह्मा ने बनाया था ब्रह्मास्त्र एक परमाणु हथियार है है जिसे देवीय हथियार भी कहा जाता है यह सबसे अचूक और भयानक हथियार है जो इसे छोड़ता था वह इसे वापस लेने की क्षमता भी रखता था लेकिन अश्वत्थामा को इसे वापस लेने का तरीका मालूम न था जिससे लाखों लोग मारे गए महर्षि वेदव्यास ने लिखा है कि जहां ब्रह्मास्त्र का प्रयोग किया जाता है वहां जीव जंतु और पेड़ पौधे लगभग 12 वर्ष तक नहीं होते
3.त्रिशूल – त्रिशूल को हिंदू धर्म में आस्था का प्रतीक माना जाता है यह भगवान शिव का हथियार है इस अस्त्र का इस्तेमाल महाभारत और रामायण दोनों काल में किया गया इसी अस्त्र से भगवान शिव ने अपने पुत्र श्री गणेश का सिर धड़ से अलग कर दिया था आपने मंदिरों में देखा होगा जहां शिव होते हैं वहां उनका त्रिशूल अवश्य होता है
4.वज्र – महाभारत के युद्ध में पांडव और कौरव दोनों ही बेहद शक्तिशाली थे जब दुर्योधन ने अर्जुन को मारने की योजना बनाई तो गुरु द्रोण ने एक चक्रव्यूह की रचना की परंतु अर्जुन की जगह उनका पुत्र अभिमन्यु चक्रव्यूह में चला गया तथा कौरवों ने युद्ध नियमों का उल्लंघन करते हुए अभिमन्यु का वध कर दिया तथापि भीम के पुत्र घटोत्कच को रणभूमि में बुलाया गया और घटोत्कच कौरवों की सेना पर काल की तरह टूट पड़ा इससे भयभीत होकर कर्ण ने वज्र का प्रहार कर घटोत्कच को मार गिराया था
- पाशुपतास्त्र – त्रिशूल की तरह ही पाशुपतास्त्र भी भगवान शिव का ही अस्त्र है इस हथियार को बेहद ही विनाशकारी माना जाता है कहा जाता है कि यह पूरी सृष्टि को समाप्त करने की क्षमता रखता है यह दिखने में एक तीर की तरह होता है यह बाण महाभारत में केवल अर्जुन के पास ही था अर्जुन ने इस बाण का कभी भी प्रयोग नहीं किया क्योंकि वह युद्ध तो जीतना चाहते थे परंतु सृष्टि का नाश नहीं