मकर संक्रांति का पर्व क्यों मनाया जाता है,इसके पीछे क्या धारणा है ?

मकर संक्रांति, सूरज से जुड़ा पर्व है,जो १४/१५ जनवरी को मनाया जाता है,हर साल । ज्योतिष के अनुसार इस दिन सूरज धनु राशि को छोड़ कर मकर राशि में प्रवेश करता है। सूर्य जब एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करता है,तो इस घटना को संक्रांति कहते हैं। जब सूरज मकर राशि में प्रवेश करता है ,तो दिन बड़े और रात छोटी होने लगती हैं।

मकर संक्राति के दिन को बहुत शुभ माना जाता है ।इस दिन दान व स्नान करने का बहुत महत्व है। उत्तर भारत में इस दिन पतंगें बहुत चाव से उड़ाई जाती है।इस दिन आपने देखा होगा कि सूरज के प्रकाश में विशेष चमक होती है। इस तिल की मिठाइयां खाने का विशेष महत्व है।हिन्दुओं में सूरज एक देवता है,जो ज्ञान और ज्योति का प्रतीक है। मकर संक्रांति को भारत के अलग अलग राज्यों में अलग अलग नाम से मनाया जाता है।

तमिलनाडु-पोंगल

केरल/कर्नाटक/आंध्रप्रदेश-संक्रांति

असम-भोगल बिहू

पंजाब -लोहडी

भारत के साथ इस पर्व को नेपाल में भी मनाया जाता है। भारतीय पौराणिक मान्यताओं के अनुसार सूरज देव इस दिन अपने पुत्र शनि देव से मिलते हैं,जो मकर राशि का प्रतिनिधित्व करता है । यह पिता-पुत्र के सकारात्मक संबंधों का प्रतीक है। अगर इस विशेष दिन कोई पुत्र अपने पिता के साथ संबंध सुधारने के लिए मिले तो उनके बीच संबंधों में सुधार होता है,ऐसी मान्यता है।

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