भारत के साथ 1971 के युद्ध के दौरान अमेरिका ने पाकिस्तान का समर्थन क्यों किया था?

आप जानते हैं कि साल 1971 से पहले तक बांग्लादेश पाकिस्तान का ही एक हिस्सा था,जिसे पूर्वी पाकिस्तान के रूप में जाना जाता था ! जहाँ की भाषा बांग्ला थी ! इसलिए पश्चिमी पाकिस्तान का इनसे ज्यादा कोई रिस्ता नहीं रहता था, जिसके कारण पूर्वी पाकिस्तान के लोगो को सरकार मे कोई ज्यादा दखल या हिस्सा नहीं लेने देते पश्चिमी पाकिस्तानी लोग !

? इसलिए पूर्वी पाकिस्तान के हिस्सै मे हमेशा नाइंसाफी होती थी जिससे पूर्वी पाकिस्तान का उन्नति रुक सी गयी थी ! इसी कारण वश पूर्वी पाकिस्तान के लोगो मे नफ़रत हो गयी थी पश्चिम वालो से !! इसी कारण वहा अलगाव की राजनीती शुरू हो गयी थी जो बड़ा भयानक रूप ले ली थी !

? इसी अलगाव को रोकने के लिए कई ओपरेशम चलाये गए थे पूर्वी पाकिस्तान मे !

? इस विद्रोह को कुचलने के लिए बल प्रयोग किया गया था !

? ऐसी स्थित से पूर्व भारत मे पूर्वी पाकिस्तानियो के लोगो का शरणस्थली के रूप मे बढ़ता जा रहा था जो एक खतरा था भारत के लिए !!!

? लोगो का भारत मे अवैध रूप से बढ़ना जारी रहा

? इस भयानक स्थित को रोकने के लिए भारत ने सैन्य ऑपरेशन चलाया था जिसमे उस वक्त के अमेरिकन राष्ट्रपति ने अपनी टांग अडानी चाही थी, बात उस वक्त की हैँ जब अमेरिका के राष्ट्र पति निक्सन थे, इन्होने बंगाल की खाड़ी मे अपनी युद्ध पोत भेज दी थी जब इनको भनक लगी की इसमें भारत काफी इंटरेस्ट ले रहा हैँ ! डर था की ऐसा करके उस जगह सोवियत रूस का साम्राज्य स्थापित हो जायेगा, उस वक्त की भारत की PM इंदिरा गाँधी थी जो देश के हित को ध्यान मे रखकर अमेरिकी राष्ट्र पति को सन्देश भी दिया था की स्थित भारत के लिए भयानक होता जा रहा हैँ,

? लेकिन स्थिति काफी भयानक होती ही जा रही थी, लोगो का भागकर भारत मे आना जारी रहा !

? लेकिन अमेरिकन राष्ट्रपति निक्सन

को इस बात की भनक लग चुकी थी कि भारत पाकिस्तान के खिलाफ जंग कि तैयारी कर चूका हैँ

? दरअसल अमेरिका, पाकिस्तान के साथ सेनटो और सिएटो संधि के तहत जुड़ा हुआ था ! अमेरिका को डर था कि अगर युद्ध हुआ और भारत जीत गया तो उनके समर्थन से एशिया में सोवियत संघ का विस्तार और बढ़ जाएगा, जैसा ऊपर भी लिखा गया हैँ !

? 28 मार्च, 1971 को अमेरिकी सेक्रेटरी ऑफ स्टेट विल रोजर को पाकिस्तान से एक सन्देश आया कि हमारी सरकार देश में पूर्वी हिस्से में फैली असंतुलन की स्थिति को काबू करने में पूरी तरह से फेल हो गई है !

? ऐसे मे अमेरिका को पूरा विश्वाश हो चला था कि जंग तो पक्का हैँ !

? इसलिए अमेरिका ने पाकिस्तान के ही जरिये चीन को भी जंग मे लेना चाहा !

? और हमले के लिए युद्ध पोत भेज दिए थे

? दरअसल भारत उस इस बात से बेखबर था कि अमेरिका उसे इस मुद्दे पर भारत को घेर रहा था, जिसे इंदिरा गाँधी निक्सन के पास गयी भी थी इस मुद्दे को लेकर, बंगालियों की स्थिति को बताया और स्थित को सुधारने के लिए हस्तक्षेप करने की गुजारिश भी की थी !

? एक तो अमेरिका, ऊपर से भारत रूस की दोस्ती का जलन, तीसरा रूस का बढ़त अमेरिका को नागवार था, इस लिए निक्सन ने बिना कोई मदद के साफ इनकार कर दिया था जिससे इंदिरा के पास युद्ध के सिवा कोई रास्ता नहीं बचा था !

? बाद मे भारत ने बंगाल की खड़ी मे अपने युद्ध पोत (विक्रांत) तैयार खड़े कर दिए थे

? इसी बीच जब तक भारत युद्ध का एलान करता खुद पाकिस्तान ने 3 Dec. को भारत पर हमला कर दिया था, अक्सर देखा गया हैँ छोटे देशो मे अक्सर धैर्य की कमी रही हैँ ?

? भारत को भी इसका अंदाजा लग चूका था जिसको देखते हुए पूरी तरह से तैयार था भारत और भारत भी एलान कर दिया

? जब अमेरिका को पता चला तो आनन फानन मे अपना युद्ध पोत (USS एंटरप्राइसेस)

बंगाल की खाड़ी भेज दिया और उसको लगा इसके जरिये वह भारत को धमका कर आत्म समर्पण करवा लेगा

? 10 dec को अमेरिका का यह सन्देश पकड़ा गया की उसका USS इंटरप्राइजेज अपनी जगह पहुंच गया हैँ

? जवाब मे भारतीय नेवी ने अपना युद्ध पोत विक्रांत मैदान मे उतार दिया जो USA के USS इंटरप्राइजेज को कड़ी टक्कर देने के लिए तैयार खड़ा मिला

? एक बात और थी यहाँ ब्रिटिश भी हमारे खिलाफ थे, जो की उनका भी एक युद्ध पोत (ईगल) भारतीय महाद्वीप की और बढ़ रहा था

? इसके बाउजूद भारत घबराया नहीं धैर्य से ही सही, और इंडो- सोवियत सन्धि के तहत भारत सोवियत रूस से मदद मांगी

? तारीख़ 13 दिसंबर को एडमिरल व्लादिमीर करुपलयाकोव के नेतृत्व में सोवियत संघ ?? ने न्यूक्लियर हथियारों से लैस युद्धपोत और सबमरीन भेज दी थी ! बूम !

? इसी बात को ब्रिटिश को भनक लगते ही, की भारत अकेला नहीं रूस भी है भारत के साथ, उलटे पाव भाग खड़े हुए ?

? इसके साथ ही अमेरिका भी अपनी सेना वापस बुला ली थी ?

? इसी बीच भारत द्वारा अलग दस्तावेज पारित हुआ जो पूर्वी पाकिस्तान का नाम बांग्लादेश रखा गया एक अलग देश के रूप मे ??????

? भारत अपनी पूरी ताकत से लड़ा और लड़ते हुए लाहौर के राश्ते पाकिस्तान मे दाखिल हो गयी थी भारतीय सेना

? भारतीय सेना के सामने पाकिस्तान का रक्षा कमजोर हो रहा था इसी को देखते हुए पाकिस्तानी जनरल नियाजी ने 14 dec को अमेरिकी उच्चायुक्त को संदेह भेजा की वो आत्म समर्पण करना चाहते है जो वाशिंगटन होते हुए बात दिल्ली पहुंची

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