भारत का कौन सा राज्य सबसे अधिक सुखी सम्पन्न है? जानिए

भारत के सबसे सुखी राज्यों में से एक केरल की दुनियाभर में प्रसिद्धि के पीछे पर्यटन का भी अमूल्य योगदान है। वर्तमान में केरल पर्यटन एक वैश्विक ब्रांड बन चुका है तथा पूरे देश के लिए प्रवृत्ति तय करने वाला बन चुका है।

इसकी विभिन्न सांस्कृतिक एवं भौगोलिक मान्यताओं ने इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी बड़ा पर्यटक स्थल बना दिया है। केरल एक पर्यटक स्थल होने के साथ ही साथ एक आधुनिक एवं उन्नत समाज भी है।

यही वजह है कि राज्य को स्वच्छ एवं शांतिपूर्ण राज्य का दर्जा हासिल है। जिम्मेदार पर्यटन को राज्य ने अपनाया है।

केरल को ईश्वर का देश भी कहा जाता है। यहां पर पर्यटन व अवकाश के लिए कई विकल्प उपलब्ध हैं। राज्य में पर्यटन के लिए वर्षभर सुविधा उपलब्ध रहती है। यही वजह है कि यहां आने के लिए किसी विशेष मौसम का इंतजार करना आवश्यक नहीं है।

केरल में तीन हवाई अड्डे हैं। ये तिरुवनंतपुरम (केरल की राजधानी), कोची एवं कोझीकोड़ में स्थित हैं। यह सभी हवाई अड्डे घरेलू तथा अंतरराष्ट्रीय दोनों ही प्रकार की उड़ानों को संचालित करते हैं। इन तीनों में से तिरुवनंतपुरम तथा कोझीकोड़ हवाई अड्डे को राज्य सरकार संचालित करती है तथा कोची का नियंत्रण भारत सरकार के पास है। कोचीन अंतरराष्ट्रीय विमान पत्तन लिमिटेड (सीआईएएल), द्वारा भी हवाई अड्डे का संचालन किया जाता है। यह कंपनी भारत सरकार एवं केरल राज्य सरकार द्वारा सार्वजनिक-निजी भागीदारी के तहत बनाई गई है।

देश में केरल का योगदान

ऐतिहासिक दृष्टिकोण से देखने पर पता चलता है कि भारतीय राष्ट्रीयता में केरल का योगदान अद्वितीय है। भारतीय उपमहाद्वीप में भारत वर्ष की अवधारणा हमेशा से बौद्धिक और भावनात्मक एकजुटता की रही है। यहां तक कि जब भारत पर विदेशी शासकों का राज था, तब भी भारत की छवि ऐसी ही थी। जब बौद्ध और जैन मतवलंबियों का प्रभाव बढ़ रहा था, उसी वक्त केरल में कोच्चि के निकट एक गांव कलाडी में श्री शंकराचार्य का उदय हुआ। शंकराचार्य ने पूरे भारत वर्ष में अपने मठों की स्थापना की और वेदांत को बढ़ावा दिया। केरल के तटों पर विदेशी प्रभावों के साथ गंभीर टकराव के फलस्वरूप संवाद बढ़े और पड़ोसियों की आस्था के प्रति सहिष्णुता का वातावरण बना। बीसवीं सदी की शुरुआत में श्रीनारायण गुरु ने हिंदू शास्‍त्रों को पुनर्विश्लेषण कर सही भावना और तर्क के साथ केरल में धर्मनिरपेक्ष अवधारणा को बढ़ावा दिया। भारत वर्ष के लिए केरल का यह सबसे बड़ा योगदान है।


विकास का केरल प्रारूप

विकास के संदर्भ में केरल महत्वपूर्ण स्थिति में रहा है। इस प्रांत ने सामाजिक कल्याण के सभी मानकों को पूरा करने में सफलता पाई है, जिसकी तुलना दुनिया के विकसित देशों से की जा सकती है। केरल ने दो दशक पहले ही पूर्ण साक्षरता हासिल कर ली। वहीं प्रांत में शिशु मृत्यु दर सबसे कम है। स्त्री और पुरुष दोनों की ही जीवन प्रत्याशा 71 वर्ष है, जो देश में सर्वोच्च है। प्रांत में मातृ मृत्यु दर और जन्म दर भी सबसे कम है। केरल की इस शानदार उपलब्धि ने अर्थशास्त्रियों को इसे एक आर्थिक चमत्कार के रूप में देखने को प्रेरित किया, जबकि केरल में प्रति व्यक्ति आय साधारण है। इन उपब्धियों के पीछे कई कारण रहे हैं। मसलन- प्रांत में शिक्षा का आबादी के सभी वर्गों में विस्तार हुआ है, जिस पर डॉ अमर्त्य सेन ने भी महत्वपूर्ण रूप से जोर दिया है। बड़े पैमाने पर अनिवासी जनता और पलायन कर चुके लोग वापस लौट चुके हैं। रबर और मसालों जैसे महत्वपूर्ण नगदी फसलों की सफल खेती, सहकारी आंदोलन के प्रसार, शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में सामाजिक संगठनों की सेवाएं और मजदूरी की ऊंची दर के साथ केरल लोकतांत्रिक क्रांति लाने वाला पहला प्रांत है। इस बात में भी कोई आश्चर्य नहीं है कि दुनिया के इतिहास में मतदान के जरिए एक कम्युनिस्ट सरकार लाने की घटना इस प्रांत में हुई।


कुडुम्बाश्री

भूमि सुधार कार्यक्रम को लागू करने के मामले में केरल देश का पहला प्रांत है। यहां विकास की विकेंद्रिकित व्यवस्था को प्रोत्साहित किया जा रहा है। ग्राम पंचायत के अंतर्गत कुडुम्बाश्री नाम से चलाई जा रहा इस योजना के तहत हर स्थान में परिवारों की एक मंडली बनाई जा रही है। केरल के विकेंद्रिकित विकास की इस प्रणाली को दूसरे प्रांतों, यहां तक की विदेशों में एक माडल के रूप में देखा जा रहा है। उल्लेखनीय है कि केरल एक मात्र प्रांत हैं, जिसके सभी गांवों में अस्पताल है। इतना ही नहीं संचार के आधारभूत ढांचे के मामले में भी यह प्रांत अव्वल है।


विकासशील अर्थव्यवस्था

प्रांत के आर्थिक विकास पर ध्यान दिया जाए तो पता चलता है कि तृतीयक या सेवा क्षेत्र ने पिछले वर्षों में असाधारण और लगातार अच्छा प्रदर्शन किया है। हालांकि औद्योगिक क्षेत्र में विकास बहुत कम संतोषजनक रहा है। इसके कई कारण भी रहे हैं, जिसमें इस प्रयोजन के लिए उचित कीमत पर भूमि उपलब्ध न हो पाना प्रमुख है। राज्य सरकार ने प्रांत में आईटी उद्योग लगाने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रही है। परिणामस्वरूप आईटी उत्पादों के निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि दिखाई दे रही है। इन सबके बावजूद केरल की विशेष पहचान उसके पर्यटन उद्योग से है, जो तेज दर से बढ़ रही है। समुद्र तटों और झीलों के अलावा वागामोन, मुन्नार, थेक्काडी और वायनाड जैसे हिल स्टेशन बड़ी तादत में पर्यटकों को लुभा रहे हैं। इन सभी विशेषताओं के अलावा, केरल में दुनिया का सबसे बड़ा थोरियम भंडार है। भारत के एकबार थोरियम लेजर आइसोटोप को अलग करने की प्रौद्योगिकी प्राप्त करने के बाद ये भंडार देश की आर्थिक तरक्की में मील का पत्थर साबित होंगे, क्योंकि इन भंडारों से खाड़ी देशों में तेल उत्पादन से कहीं ज्यादा ईंधन उत्पाद मिलने का अनुमान है।


खाद्यान्न उत्पादन में बढ़ोतरी

कृषि के मोर्चे पर केरल की खाद्य फसलें उसकी जरूरतों के लिए पर्याप्त नहीं है। धान की खेती के रकबे और उपज में लगातार गिरावट आई है। पिछले कुछ वर्षों में धान का उत्पादन 13 लाख टन से गिर कर 6.29 लाख टन हो गया है। हालांकि की प्रांत परती भूमि पर खेती धान को एक हद तक बढ़ाने और खेती के बेहतर तरीकों के इस्तेमाल को प्रोत्साहित कर पैदावार को बढ़ावा देने के प्रयास किए जा रहे हैं। इसके परिणाम बेहद उत्साहवर्धक हैं। केरल देश में प्राकृतिक रबर का सबसे बड़ा उत्पादक है। साथ ही काली मिर्च, इलायची, जायफल, दालचीनी आदि जैसे मसालों का भी सबसे बड़ा उत्पादक है।

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