भगवान शिव के माता-पिता कौन थे, यहां जानें

यूं तो हम सभी भगवान शिव को कई नामों से पुकारते हें जैसे कि – महादेव, भोलेनाथ, शंकर, महेश, रुद्र, नीलकंठ आदि। वहीं, तंत्र साधना में भगवान शिव को भैरव के नाम से भी जाना जाता है। बता दें कि भगवान शिव हिन्दू धर्म के प्रमुख देवताओं में से एक माने जाते हैं। दोस्तों आप भगवान शिव के बारे में तो अवश्य जानते हैं, लेकिन क्या आप भगवान शिव के माता-पिता के बारे में जानते हैं???

आज वेद संसार आपको भगवान शिव के माता-पिता के बारे में बताने जा रहा है, जिसे जानकर आप थोड़े आश्चर्य में ज़रूर हो जाएंगे –
यह हम भलिभांति जानते हैं कि भगवान शिव की अर्धांगिनी यानि कि देवी शक्ति को माता पार्वती के नाम से जाना जाता है। भगवान शिव के दो पुत्र हैं कार्तिकेय और गणेश और एक पुत्री अशोक सुंदरी भी है।

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि भगवान शिव ने अपने शरीर से देवी शक्ति की सृष्टि की थी, जो उनके अपने अंग से कभी अलग होने वाली नहीं थी। गौरतलब है कि देवी शक्ति को पार्वती के रूप में जाना गया है और भगवान शिव को अर्धनारीश्वर के रूप में लोग जानते हैं।

आइए जानते हैं कि कौन थे भगवान शिव के माता-पिता

श्रीमद देवी महापुराण की मानें, तो भगवान शिव के पिता के लिए भी एक कथा है। देवी महापुराण के अनुसार एक बार जब नारदजी ने अपने पिता ब्रह्माजी से यह सवाल कर दिया था कि इस सृष्टि का निर्माण किसने और क्यों किया है और आप त्रिदेवों को किसने जन्म दिया है?

वहीं, ब्रह्मा जी ने नारदजी से त्रिदेवों के जन्म की गाथा का वर्णन करते हुए कहा था कि देवी दुर्गा और शिव स्वरुप ब्रह्मा के योग से ब्रह्मा, विष्णु और महेश की उत्पत्ति हुई है और इसका मतलब यह साफ है कि दुर्गा ही माता हैं और ब्रह्म यानि काल-सदाशिव उनके पिता हैं।

भगवान शिव के पिता को लेकर ब्रह्मा और विष्णु में छिड़ी जंग
बताते चलें कि एक बार की बात है जब श्री ब्रह्मा जी और विष्णु जी की इस बात पर लड़ाई हो गई… तो ऐसे में ब्रह्मा जी ने कहा “मैं तेरा पिता हूँ क्योंकि यह सृष्टि मुझसे उत्पन्न हुई है। मैं प्रजापिता हूँ और इस पर विष्णु जी ने कहा कि “मैं तेरा पिता हूँ, तू मेरी नाभि कमल से उत्पन्न हुआ है”।

दूसरी ओर सदाशिव ने विष्णु जी और ब्रह्मा जी के बीच आकर कहा कि, “मैंने तुमको जगत की उत्पत्ति और स्थिति रूपी दो कार्य दिए हैं और इस प्रकार मैंने शंकर और रूद्र को दो कार्य संहार और तिरोगति दिए हैं, मुझे वेदों ब्रह्म कहा है और मेरे पांच मुख हैं।

सदाशिव के पांच मुखों का वर्णन
जहां एक मुख से अकार (अ), दूसरे मुख से उकार (उ), तीसरे मुख से मुकार (म), चौथे मुख से बिन्दु (.) तथा पाँचवे मुख से नाद (शब्द) प्रकट हुए हैं… उन्हीं पाँच अववयों से एकीभूत होकर एक अक्षर ओम् (ऊँ) बना है और यह मेरा मूल मन्त्र है।

जान लें कि इस प्रकार उपरोक्त शिव महापुराण के प्रकरण से यह बात सिद्ध हुई है कि शिवजी की माता श्री दुर्गा देवी (अष्टंगी देवी) हैं और उनके पिता सदाशिव अर्थात् “काल ब्रह्म” है।

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