भगवान शिव के गले में पहनी मुंड माला का रहस्य जानिए

भगवान शिव और सती का अद्भुत प्रेम शास्त्रों में वर्णित है। इसका प्रमाण है सती के यज्ञ कुंड में कूदकर आत्महत्या करना और सती के शव को उठाए क्रोधित शिव का तांडव करना हालाकि की यह भी शिव की लीला थी क्योंकि इस बहाने शिव 51 शक्तिपीठों की स्थापना करना चाहते थे। शिव ने सती को पहले ही बता दिया था कि उन्हें यह शरीर का त्याग करना है। इसी समय उन्होंने सती को अपने गले में मौजूद मुंडो की माला का रहस्य भी बताया था।

मुंड माला का रहस्य

शास्त्रों में ऐसा लिखा हुआ है कि एक बार नारद जी के उकसाने पर सती भगवान शिव जी से जिद करने लगी और पूछने लगी कि आपके गले में जो मुंड की माला है उसका रहस्य क्या है। जब काफी समझाने पर भी सती ना मानी तो भगवान शिव को मजबूरन यह रहस्य खोलना पड़ा। शिव ने पार्वती से कहा कि इस मुंड की माला में जितने भी मुंड यानी सर है वह सभी आपके हैं। सती इस बात को सुनकर एकदम हैरान रह गई।

सती ने भगवान शिव से पूछा यह भला कैसे संभव है कि सभी मुंड मेरे हैं। इस पर शिव बोले यह आपका 108 व जन्म है। और उन्होंने यह भी कहा कि इस से पहले आप 107 बार जन्म लेकर शरीर त्याग चुकी है और यह सभी मुंड उन पूर्व जन्मों की निशानी है। इस माला में अभी एक मुंडा की कमी है इसके बाद यह माला पूर्ण हो जाएगी शिव की इस बात को सुनकर सती ने शिव से कहा मैं बार बार जन्म ले कर शरीर त्याग करती हूं लेकिन आप शरीर त्याग क्यों नहीं करते।

यह बात सुनकर शिव हंसते हुए बोले कि मैं अमर कथा जानता हूं इसीलिए मुझे शरीर का त्याग नहीं करना पड़ता। शिवजी की इस बात पर सती ने भी अमर कथा जानने की इच्छा प्रकट की शिव जब सती को कथा सुनाने लगे तो उन्हें नींद आ गई और वह कथा सुन नहीं पाई इसीलिए उन्हें दक्ष के यज्ञ कुंड में कूदकर अपने शरीर का त्याग करना पड़ा।

शिव ने सती के मुंड को भी माला में गूंथ लिया इस प्रकार 108 मुंड की माला तैयार हो गई सती ने अगला जन्म पार्वती के रूप में लिया इस जन्म पार्वती को अमरत्व प्राप्त होगया और फिर उन्हें शरीर त्याग नहीं करना पड़ा।

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