भगवान गणेश को लोक देवता क्यों कहा जाता है?

भारत में पाँच देवताओं की मुख्य पूजा करी जाती है । प्रकृति के रूप में सूर्य की या हिरण्यगर्भ की , शक्ति के रूप में देवी की वे लोग शाक्त कहलाते हैं । विष्णु की ( या उनके सभी अवतारों की ) वे वैष्णव कहे जाते हैं, शिव की और कुछ लोग स्मार्त होते हैं जो पांचो की करते हैं ।

हिरण्यगर्भ या सूर्य से सृष्टि ( सृष्टि का अर्थ ही उत्पत्ति होता है) की , विष्णु से पालन की , शिव से महाप्रलय की, शक्ति से निग्रह की और गणेश एक सुपर मेमोरी के रूप में अनुग्रह के रूप में पूजे जाते हैं ।

गणेश का दूसरा स्वरूप ( अनुग्रह के अतिरिक्त) बुद्धि और विवेक का भी है । क्योंकि बुद्धि और विवेक ही मनुष्य को मनुष्य बनाता है ।

अब आता हूँ आपके प्रश्न पर । संस्कृत भाषा में विनायक का अर्थ वास्तव में विघ्न देने वाला होता है । घबराइए मत , यही विनायक का अर्थ संस्कृत भाषा में यही होता है ।ऐसा क्यों होता है? हमारी शरीर में इंद्रियाँ यदि वश में न रहे तो वह विघ्न डालने लगती है । जैसे आपकी आँख सुन्दर रूप देखने को बेचैन हो जाए तो वह आपके पैरों को भी प्रेरित करेगी चलने के लिए । पर यदि इन इंद्रिय गण का कोई नायक बन जाए ( गणेश ) तो वह विघ्न को हर लेता है ।

अत: अनुग्रह, बुद्धि विवेक और इंद्रिय गण को नियंत्रण में रखने वाले और विघ्न हरण करने गणेश जी लोक देवता भी कहे जाते हैं ।

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