भगवान कृष्ण ने महाभारत लड़ाई में अपनी ही नारायणी सेना को मारने की अनुमति क्यों दी?
यदि तुम भगवान का मतलब कया है ये जानते तो ऐसे प्रशन कभी नहीं करते उगली उठाने से पहले उसे जानो तब प्रशन करो
खैर सवाल पर आते हैं यदि श्री गीता जी का अध्ययन किया होता तो उसमें भगवान ने साफ कहा है न कोई मेंरा प्रिय है न अप्रिय है लेकिन जो मेरा और मेरे निराकार ब्रह्म रुप यानि शिव/ नारायण को भजता है और निषकाम भाव से करम करता है मैं उस पर अनुग्रह करता हूँ अरथात अपना पराया ये सब भौतिक जगत में चलता है.
वह सिर्फ किसी प्रयोजन से अवतार लेकर किसी रुप में आता है लेकिन सभी रिश्ते उसके लिए कोई मायने नहीं रखते हैं सिर्फ लीला के लिए ही वह सब रचता है फिर सब खत्म करके चला जाता है और श्री गीता जी में यही उसका संदेश सभी सनातन धर्म के लोगों को है कि सभी रिश्ते असथायी है तु सिर्फ ईश्वर के अधीन हो कर निषकाम भाव से जीवन जी