बेशरम पेड़ क्या है? जानिए

बेहया या बेशर्म या थेथर एक पौधा है जो प्राय: तालाबों, पोखरों, नदियों व अन्य जलस्रोतों के किनारे पाया जाता है। यह कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी जिन्दा रहता एवं पुष्पित-पल्लवित होता रहता है। इसीलिये इसे बेहया कहते हैं।

इसका पुष्प गुलाबी रंग का होता है। इसके फूल गुलाब जैसे रंग के होते है इस लिए इसे “गुलाबसी” भी कहते है। यह पौधा तो वैसे किसी काम का नहीं है, लेकिन गांवों में लोग इससे बाड़ बनाते हैं और जलाने के काम में लाते हैं।

इसका अन्य उपयोग जैविक कीटनाशक के रूप में भी किया जा सकता है। कई ग्रामीण क्षेत्रीय लोग इसकी पत्तियों को नीम पत्तियों और धतूरा के साथ गौमूत्र में उबाल कर फसलों पर छिड़काव करते हैं, जिससे फसलों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बड़ जाती है।

आपने अपने घरों के आसपास सत्यनाशी का पौधा देखा होगा। यह वही पौधा है जो कंटीले, पीले फूल वाले हरे पत्ते नुकीले दिखते हैं। यह बहुत आसानी से दिख जाते हैं। लेकिन यह पौधा बहुत काम का है। सत्यनाशी का मतलब है कि सभी प्रकार के रोगों का नाश करने वाला खास वनस्पति। आयुर्वेद में सत्यनाशी पौधे को बहुउपयोगी औषधि माना गया है। इसके बीजों को भी बहुत सी बीमारियों के लिए दवाइयों की औषधि के काम आता है। इसके बीज सरसों के दानों की तरह होते हैं। इसे हिंदी में बेशर्म या बेहया के नाम से भी जाना जाता है।

ये हैं फायदे

पेट, फेफड़ों और शरीर के अंगों में पानी भरने की समस्या हो तो इसके लिए 1 चम्मच सत्यनाशी तेल और चुटकी भर सेंधा नमक को एक गिलास गुनगुने पानी में डालकर रोज सुबह पिया जाए तो, कुछ ही दिनों में इस समस्या से छुटकारा मिल जाता है।
औषधि सत्यनाशी के पौधे का उपयोग पीलिया रोग में कारगर हैं। पीलिया के रोगी को आधा चम्मच सत्यनाशी तेल गन्ने के जूस के साथ पीने से पीलिया से छुटकारा मिल जाता हैं।
बवासीर को ठीक करने के लिए सत्यनाशी जड़, चक्रमरद बीज और सेंधा नमक बारीक पीसकर चूर्ण तैयार कर लें। रोज सुबह शाम चुटकी भर सत्यनाशी मिश्रण चूर्ण दही के साथ खाने से बवासीर घाव ठीक करने और बवासीर जड़ से मिटाने में सहायक है। सत्यनाशी जड़, चक्रमरद बीज और सेंधा नमक मिश्रण गुड़ पानी के साथ भी सेवन कर सकते हैं।
मुंह में छाले होने पर सत्यनाशी के कोमल डंठल और पत्तियां चबानी चाहिए। और कुछ देर बाद थोड़ा दही और चीनी खाने से मुंह के छालों से राहत मिलती है।
पेशाब में जलन, संक्रामण होने पर सत्यनाशी जड़ों को उबालकर काढ़ा तैयार कर लें। रोज सुबह शाम पीने से पुरानी से पुरानी पेशाब जलन, दर्द समस्या दूर करने में सहायक है।
दांतों में कीड़ा लगने पर सत्यनाशी तने और नीम तने से लगातार रोज दातून करने से दांतों के कीड़ा, दांत दर्द से जल्दी छुटकारा मिलता है। दांतों के लिए सत्यनाशी तना और नीम तना से एक साथ मिलाकर दातुन करना खास फायदेमंद है।
चोट घाव ठीक करने में सत्यनाशी फूल, पत्तियों का रस अचूक औषधि मानी जाती है। सत्यनाशी फूल पत्तियों का रस घाव जल्दी भरने में सहायक और घाव को संक्रमित होने से बचाने सहायक है। दमा रोग में सत्यनाशी सत्यनाशी फूल, कोमल पत्तों से कांटे अलग करे, फिर फूल और कांटे बिने पत्तों को बरीक पीसकर फंक बना लें। रोज सुबह शाम सत्यनाशी आधा चम्मच से कम फंक गर्म पानी के साथ सेवन करने से दमे की खांसी से जल्दी आराम मिलता है और 1 चम्मच सत्यनाशी तेल मिश्री, गुड़ के साथ खाने से दमा रोग से जल्दी छुटकारा मिलता है।
कुष्ठ रोग फैलने से रोकने के लिए सत्यनाशी के फूल, पत्तों और नीम के पत्तों को बारीक कूटकर पानी में उबालें। फिर पानी गुनगुना ठंड़ा होने पर नहायें। आधा चम्मच सत्यनाशी फूल रस दूध के साथ सेवन करें। सत्यनाशी तेल खाने में इस्तेमाल, और कुष्ठ ग्रसित त्वचा पर लगायें। सत्यनाशी पौधा कुष्ठ रोगी के लिए फायदेमंद है।
नजर कमजोर होने पर, मोतियाबिन्दु होने पर सत्यनाशी के दूध को मिश्री, कच्चे दूध के साथ सेवन करना फायदेमंद है। सत्यनाशी दूध और ताजा मक्खन या फिर गाय के घी के साथ मिलाकर आंखों पर काजल की तरह लगाएं।
गैस कब्ज समस्या में सत्यनाशी जड़ और अजवाइन उबालकर काढ़ा तैयार कर लें। रोज सुबह शाम सत्यनाशी काढ़ा पीने से गैस कब्ज की समस्या 10-15 दिनों में ठीक हो जाएगी।
पुरुषों और महिलाओं दोनों की अंदरूनी गुप्त बीमारी नपुंसकता, धातुरोग, वीर्य कमजोरी, शुक्राणुओं की गड़बड़ी और निसंतान कलंक दूर करने में सत्यनाशी पौधा एक अचूक प्राचीनकालीन औषधि है। महिलाओं पुरुषों के गुप्त रोगों में सत्यनाशी के फूल रस, पत्तियों का रस आधा चम्मच सुबह शाम कच्चे दूध के साथ सेवन करना फायदेमंद है। पुरूषों महिलाओं के लिए सत्यनाशी लिबिडो बढ़ाने में सहायक होता है।

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