बिहार के अष्टकोणीय महादेव मंदिर की क्या विशेषता है? जानिए

बिहार में है देश का सबसे अनोखा श्रीयंत्र आकार का अष्टकोणीय मंदिर है,जहाँ चतुर्मुखी शिवलिंग का हर पहर बदल जाता है रंग..

वैसे तो बिहार में कई धर्मों का जन्म हुआ है,लेकिन कम ही लोग जानते होंगे कि यहाँ ही देश का सबसे पुराना जीवित मंदिर है..जहाँ पिछले 1913( तात्कालिक प्रमाण के अनुसार,यह और पुराना हो सकता है) सालों से बिना किसी रूकावट के प्रतिदिन पूजा और प्रसाद की परंपरा जारी रही है,इसलिए इसे सबसे पुराना जीवित मंदिर कहा जाता है, जहाँ कभी पूजा बंद नहीं हुई है..

– सूर्य की स्थित बदलने के साथ शिवलिंग का भी रंग बदल जाता है..

– इस मंदिर का उल्लेख कनिंघ्म ने भी अपनी पुस्तक में किया है..

– पहाड़ी पर बिखरे हुए पत्थर एवं स्तम्भ पर श्रीयंत्र सरीखे कई सिद्ध यंत्र एवं मंत्र उत्कीर्ण हैं..

– मंदिर की प्राचीनता का आभास यहां मिले ‘महाराजा दुत्‍तगामनी’ की मुद्रा (seal) से भी होता है, जो बौद्ध साहित्‍य के अनुसार ‘अनुराधापुर वंश’ का था और ईसा पूर्व 101-77 में श्रीलंका का शासक रहा था..यानी यह 1913 सालों से भी पुराना हो सकता है..

– इस मंदिर का निर्माण जिस सिद्धांत पर हुआ है, उस सिद्धांत का जिक्र अथर्ववेद में मिलता है..

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