बादल 450,000 किलो का होता है तो फिर गिरता क्यों नहीं, बरसता क्यों है? जानिए वजह

 जैसा कि बताया गया कि बादलों का वजन 450000 किलो तक हो सकता है। यानी हम मान लेते हैं कि सबसे छोटा बादल कम से कम 50000 किलो तक का होता होगा। यह वजन भी काफी है पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण में आने के लिए। फिर बादलों पर पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण काम क्यों नहीं करता। इसके पीछे का रहस्य यह है कि बादल बर्फ की चट्टान नहीं होता बल्कि पानी के बहुत छोटे-छोटे कणों का बहुत बड़ा झुंड होता है।

बादल को बर्फ की तरह तोड़ा नहीं जा सकता। हवा में हजारों करोड़ या फिर शायद इससे भी ज्यादा पानी के बहुत छोटे-छोटे कण एक साथ तैर रहे होते है। जब हम धरती से देखते हैं तो वह झुंड हमें बादल दिखाई देता है परंतु असल में पानी का हर छोटा सा कण अपने आप में स्वतंत्र होता है।

हवा के संपर्क में आने पर छोटे-छोटे कण एक दूसरे से जुड़ जाते हैं और गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव में आकर जमीन पर गिरते हैं। यही कारण है कि बादल नहीं गिरता, पानी की बूंदे गिरती है, जिसे बरसात कहते हैं।

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