पंजाबी सिखों और पंजाबी हिंदुओं के बीच अंतर क्या है? जानिए

पंजाबी सिख, सिख धर्म को मानते है. गुरु नानक कि शिक्षाओं को मानते है उन पर अमल करत है. सिख धर्म कि स्थापना गुरु नानक ने कि. यह पहले सिख गुरु थे. इनके पूर्वज हिंदू ही थे. ये भी हिंदू ही थे लेकिन हिंदू धर्म के पूजा पाठ में परम्परा में इनका मन नहि लगा तो इन्होने अलग ही सरल और सच्चे मार्ग को अपनाया. इसमें पाखंड नहि है, पूजा पद्धति आसान है सज्जनता, ,सचचायी ही धर्म है, समानता ही आधार है. जाती भेदभाव मना है लेकिन फिर भी है. समाज में हर धर्म बुराईयों को समाप्त करने के लिए ही बना है लेकिन बुरैय्या है कि हर धर्म में घुस जाती है चाहे धर्म के संस्थापक उनके खिलाफ ही लड़े हो और इसलिए ही उन्होंने अपना पुराना धर्म छोड़कर नया अपनाया हो.

सिख धर्म में दस गुरु हुए है जिनमे दशम गुरु गोविन्द राय थे जो राय से खालसा का 1699 में निर्माण कर सिंह बन गए थे. दसमे गुरु गोविन्द सिंह ने वैशाखी के दिन 1699 में पांच लोगों आनंदपुर साहेब में भारी भीड़ से चुनकर पहले सिख बनाया. न कोई पक्षपात, न कोई गड़बड़ सिर्फ बलिदान त्याग और अत्याचार के विरुद्ध लड़ने के जज्बे को ही सिख बनने के लिए योग्य गुण माना गया. सिखों कि अलग पहचान बनाई और उनको पांच केश कंघा कड़ा कच्छा और कृपण चिन्ह दिए.

इन पांचों को गुरु ने अमृत चखा कर सिख बनाया फिर स्वयं इनके हाथों से अमृत पीकर स्वयं भी सिख बन गए. यही सिखों के योद्धा बनने का समय था और यही से राज करेगा खालसा का नारा बुलंद हुआ. सिख जो खालसा पंथ को मानता है अमृतधारी होता है और अत्याचार शोषण के खिलाफ लडता है तथा सच का मार्ग मज़बूत करता है. किसी के साथ पक्षपात नहि करया. सबको गुरु का बंदा मानता है, जो गलत है उसकों रोकता है. सिखों को गुरु ने योद्धा बनाने हेतु अमृत पान कराकर उनको अत्याचार के विरोध करने कि शक्ति देकर, शक्तिशाली मुग़ल शाशक औरंगजेब को चुनौती दी और उसकी फ़ौज को अनेकों बार युद्ध में हराया कम साधन होने के बाद भी.

सरहिंद के नवाब वज़ीर खान को गुरु कि मृत्यु के बाद उन्ही के शिष्य बंदा वैरागी ने पंजाब में हराया और गुरु के दो छोटे बच्चे फ़तेह सिंह और जोरावर आदि कि हत्या का बदला लिया. चमकौर के युद्ध में गुरु के दो बडे बेटे जोरावर और अजित सिंह वज़ीर खान कि दस हज़ार फौज से लड़ते हुए शहीद हुए. बंदा बहादुर ही खालसा का पहला शाशक हुआ जिसने पंजाब में सिख राज्य स्थापित किया और लोहगड को राजधानी बनाया.

बाद में मुग़ल फ़ौज ने बंदा बहादुर को पकड़ लिया फरुखसियर के समय और इसको भयंकरयातनाये और सज़ा दी गयी. लेकिन बंदा टस से मस न हिया और सिख ही मरा धर्म न बदला. इसको किले का घेरा डालकर 70 दिन बाद किले में रसद खत्म होने पर कैद किया गया फिर पिंजड़े में बांधकर दिल्ली लाया गया. रोजाना इसके सिपाहियों को इसके सामबे कत्ल किये गया और मुसलमान बनने के बदले इसे छोड़ देने का प्रस्ताव दिया गया. इसके अबोध बालाक बच्चे को संगीन से दिल छेड़कर, शरीर से काटकर इसके मुह में ठूंसा गया ज़ब यह सत्तर अस्सी दिन से भूखा था लेकिन दृढ निष्चयी बंदा अपने संकल्प से न डिगा. ये होते है सिख.

दूसरा सिख साम्राज्य महाराजा रंजीत सिंह ने स्थापित किया और इन्होने सतलुज से यमुना तक के क्षेत्र को अपने अधीन कर लिया अफ़ग़ानिस्तान पर भी अधिकार कर लिया. पेशावर, लाहौर इनके राज्य में थे. लाहौर इनकी राजधानी थी. अंग्रेज महाराज से खौफ खाते थे. इनके पुत्र महाराज दुलीप सिंग ने कोहिनूर हिरा, ब्रिटैन कि महैरानी को भेंट दिया था. इनकी माता जींद कोर थी जो महाराज रंजीत सिंह जी की सबसे छोटी महारानी थी.

अमृतसर गुरूद्वारे स्वर्ण मंदिर के मरम्मत इन्होने सोने से करवाई. हरमंदिर साहेब को स्वर्ण मंदिर महाराजा रंजीत सिंह ने बनाया. कोहिनूर हिरा इन्हे अफ़ग़ानिस्तान के शाह शुजा ने भेंट किया जो कि अहमद शाह अब्दाली का पोता था. सरदार हरि सिंह नलवा के नाम से अफ़ग़ान खौफ खाते थे वह इनका ही सरदार था. इनकी फ़ौज में हिंदू सिख शामिल थे कुछ मुसलमान भी थे. यह पूर्ण रूप से धर्म निरपेक्ष शाशन था. फ़ैंसीसी भी इनकी फ़ौज को यूरोपीय ढंग से सुसज्जित करते थे. राजा गुलाब सिंह और उनके भाई ध्यान सिंह डोगरा आदि भी इनके दरबार में थे जो बाद में जम्मू कश्मीर के महाराज बने.

पंजाब में सिखों के अनगिनत किस्से कहानी है. पंजाबी हिंदू सिखों का आदर करए रहे है. दोनों के आचार विचार एक जैसे है आपसी भाई चारा बहुत है. सिख हिन्दुओं से ही जन्मे है. एक ही परिवार में सिख और हिंदू होते है और रोटी बेटी का सम्वन्ध है. बस सिख एकेश्वरवाद मानते है गुरु को मानते है. गुरूद्वारे जाते है. पाखंड से दुर है. अपनी पहचान अलग है सिख पगड़ी पहनते है कड़ा केश धारण करते है. बंदा वैरागी गुरु ने ही सिख बनाया था उससे पहले हिंदू राजपूत ही था जम्मू का. हिंदू ही सिख बन जाते है और सिखों के बच्चे तो सिख होते ही है. इनके परम्परा भी हिंदू परम्पराओं से मिलति है. दिवाली आदि मनाते है. हिंदू तो सभी जगह एक जैसे ही है पंजाब में भी. जाति सिखों में भी है. हिन्दुओं में से छोटे जाती वाले भी खूब सिख बने है. अधिकतर सिख जाट है, खेती करते है. खत्री भी सिख है.

व्यापार पर सिखों का एकाधिकार है. कहि भी बस कर अपना कारोबार शुरू कर देते है. हिंदू पूरा पंजाबी खासतौर पर बनिया भी व्यापार में सक्रिय है, शिक्षा में भी बहुत सक्रिय है. खूब समृद्ध है, धर्म काज खूब करते है. भारत कि लडाका कोम है सिख. पंजाबी हिंदू व्यापार में सबसे आगे. मेहनत से दोनों नहि डरते है बहुत मेहनत करते है.आजकल पुते पंजाब में औरपुंजाबियों में नशे का व्यसन बहुत जोर पकड़ गया है और युवा पीढ़ी इससे बिरि तरह प्रभावित हियहे. उड़ता पंजाब फ़िल्म इसी व्यसन पर आधारित है. यह व्यसन इतना अधिक है की इस पर पंजाबी बदनाम हुए है औरअभी जल्दी में ही सिरसा जी जो एक राजनेता है ने मुंबई फ़िल्म उद्योग की इसके लिए आलोचना की और उनसे मुंबई में ड्रग माफिया के फैलाव पर फ़िल्म बनाने को कहा.

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