नीम को किस देश से भारत लाया गया है? जानिए उस देश का नाम
नीम भारतीय मूल का एक पर्ण- पाती वृक्ष है।
यह प्राचीन काल से समीपवर्ती देशों पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, म्यांमार (बर्मा), थाईलैंड, इंडोनेशिया, श्रीलंका आदि देशों में पाया जाता रहा है। लेकिन पिछले लगभग डेढ़ सौ वर्षों में यह वृक्ष भारतीय उपमहाद्वीप की भौगोलिक सीमा को पार कर अफ्रीका, आस्ट्रेलिया, दक्षिण पूर्व एशिया, दक्षिण एवं मध्य अमरीका तथा दक्षिणी प्रशान्त द्वीपसमूह के अनेक उष्ण और उप-उष्ण कटिबन्धीय देशों में भी पहुँच चुका है।
इसका वानस्पतिक नाम Azadirachta indica है। नीम का वानस्पतिक नाम इसके संस्कृत भाषा के निंब से व्युत्पन्न है। इसकी तरह ही कड़वा वृक्ष महानिंब, बकायन भी है। बकायन के बारे में शीघ्र ही लिखूंगी। अभी नीम के बारे में बताना चाहूंगी।
भूर्ज का अर्थ –
भूर्ज को अंग्रेजी में बर्च (Birch) कहते हैं। यह बेटुलेसिई (Doo doo) कुल का पेड़ है। इसके अधिकाश पेड़ मध्यम विस्तार के होते हैं। कुछ तो झाड़ियों के किस्म के भी होते हैं। भूर्ज अर्थात भोजपत्र। जो प्राचीन काल से लिखने के रुप में प्रयोग किया जाता था।
प्राचीन काल से वर्तमान काल में तंत्र मंत्र में भी भोजपत्र का बहुतायत से प्रयोग किया जाता है।
पर्णपाती का अर्थ –
शरद ऋतु में पत्ते गिरने से पूर्व पीला होता है। उसके पश्चात सूखकर गिरने लगता है। भूर्ज का एक वृक्ष पतझड़ी या पर्णपाती ऐसे पौधों और वृक्षों को कहा जाता है जो हर वर्ष किसी मौसम में अपने पत्ते गिरा देते हैं। उत्तर भारत में तथा समशीतोष्ण क्षेत्रों में यह शरद ऋतु में होता है, जिस कारण उस मौसम को ‘पतझड़’ भी कहा जाता है।
और आप सभी पतझड़ से निश्चित रूप से परिचित हैं। अन्य क्षेत्रों में कुछ वृक्ष अपने पत्ते गर्मी के मौसम में गिरा देते हैं। ये पत्ते गिरने से पूर्व सूखकर लाल, पीले या भूरे हो जाते हैं जो कई प्रदेशों में यह सांस्कृतिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण है और कला व साहित्य में अक्सर दर्शाया जाता है।
मैनें भूर्ज और पर्णपाती के बारे में इसलिए लिखा ताकि सरलता से समझ आ जाए।
नीम का वृक्ष भारतीय मूल का वृक्ष है।