नवरात्रि 2020: 270 साल में पहली बार न दिखेंगी दुर्गा, न होंगे राम के दर्शन

परंपरा पर भंग हो गई। 270 साल पुरानी यह परंपरा काशी में
दुर्गोत्सव के आरंभ से जुड़ी है। यहां चौखंभा मोहल्ले के मित्र परिवार
के प्रांगण में न तो देवी दुर्गा के दर्शन होंगे और न ही उनके साथ
भगवान श्रीराम की प्रतिमा स्थापित की जाएगी।

यह एकमात्र ऐसा
सार्वजिनक पूजन स्थल है, जहां मां दुर्गा, गणेश, कार्तिकेय, लक्ष्मी
और सरस्वती के साथ ही भगवान श्रीराम की प्रतिमा भी स्थापित
करने की परंपरा रही है। आयोजन के पहले साल से ही ये सभी
प्रतिमाएं गंगा की मिट्टी से ही बनवाई जाती हैं।

इस वर्ष प्रतिमा निर्माण
की प्रक्रिया जुलाई में रथयात्रा मेले के दिन कठान पूजन से आरंभ
होनी थी, लेकिन लंबे लॉकडाउन के चलते बंगाल से कारीगर काशी
नहीं आ सके। इस वर्ष यहां भी सिर्फ कलश स्थापना के माध्यम से
देवी का पूजन किया जाएगा।

पश्चिम बंगाल के राजा गोविंद राम मित्र
के प्रपौत्र राजा आनंद मित्र काशी में स्थाई रूप से निवास के लिए वर्ष
1750 में काशी आए। तब उन्होंने भारतेंदु बाबू हरिश्चंद्र के आवास
के निकट ही विशाल हवेली बनवाई जो कालांतर में बंगाली ड्योढ़ी के
नाम से प्रसिद्ध हुई।

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