नवरात्रि के 9 दिन बाद माता कहाँ चली जाती है?
आराम करने
क्योंकि पूरे 9 दिन माता को विराजमान करके उनके पंडालों में जोर जोर से “बीडी जलाई ले जिगर से पिया” जैसे गाने बजाते हैं इंसान तो माता भी सोचती होगी थोड़ा शांति के वातारवरण में चले जाऊं मैं ।
क्योंकि पूरे 9 दिन माता से मांग मांग कर परेशान करता है इंसान की माँ ये दे दो माँ वो दे दो, तो वह सोचती होंगी की कुछ दिन आराम कर लूं अब मैं जब तक इंसान रावण को जलाने और खुद में रावण को अपनाने में व्यस्त है।
क्योंकि पूरे 9 दिन माँस और दारू छोड़ चुके इंसान अब अय्याशीयो का आतंक मचाएंगे, जानवर काटे जाएंगे, शराब बहेगी तो माता सोचती है कि कहीं दूर चली जाऊं इस कोताहल से कुछ दिन।
क्योंकि पूरे 9 दिन गंगाजल की पवित्रता का गुणगान करने वाले अब कचरा, मिट्टी और यहां तक उस माता को भी जल में विलीन कर प्रदूषण की हद्द पार करेंगे तो माता शुद्ध परिवेश में जाना पसंद करती है।
नोट: मैंने आपकी धार्मिक नीतियों और तरीको को निशाना नही बनाया है। बस वह लिखा जो आज की सच्चाई है।
दीपावली शब्द में दीप की महत्ता थी, लेकिन उस शब्द को दीवाली बनाकर दिवाला निकालने का कार्य हमने किया। बस उसी तरह धर्म की परिभाषा, उसके तौर तरीके सब हमने अपनी सुविधाओ और मनोरंजन के आधार पर बदल डाले हैं।