नवरात्रि का पहला दिन किस देवी को अर्पित होता है और क्यों?

नवरात्रि का पहला दिन माता शैलपुत्री को अर्पित होता है। लेकिन हम आपको बता दें, कि यह साधना शास्त्र विरुद्ध साधना है। तत्वज्ञान के अभाव में हम शास्त्रविरुद्ध साधना करते हैं। जिसका प्रमाण गीता अध्याय 16 के श्लोक 23 में है, क्योंकि हमारे पवित्र सद्ग्रंथ, चारों वेद तथा श्रीमद्भागवत गीता है जिसमें नवरात्रों के व्रत रखने का प्रावधान नहीं है।

गीताजी अध्याय 16 श्लोक 23 के अनुसार जो पुरुष शास्त्र विधि को त्याग कर मनमाना आचरण करता है उसको भक्ति का कोई लाभ नहीं होता, ना तो उसको कोई सुख प्राप्त होता है, ना उसकी परमगति होती है, ना ही मुक्ति होती है। ठीक इसके पश्चात अध्याय 16 के श्लोक 24 में तुरंत कहा है कि इसके लिए अर्जुन कर्तव्य और अकर्त्तव्य की व्यवस्था में यानी कि कौन से कर्म करने चाहिए और कौन से नहीं करने चाहिए, के लिए शास्त्र ही प्रमाण है।

हमे किसकी भक्ति करनी चाहिए ?, सर्वोच्च ईश्वर कौन है ?, जिसकी भक्ति करने से हमे सभी लाभ मिले और हमारा मोक्ष हो। इन प्रश्नों के उत्तर जानने के लिए पढ़े पुस्तक “अंधश्रद्धा भक्ति खतरा-ए-जान”

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