दुनिया आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की ओर बढ़ रही है, तो इसमें भारत क्यों पीछे है? जानिए
दुनिया तो अर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की तरफ आगव बढ़ रही है परंतु हम अपनी ह्यूमन इंटेलीजेंस ही नही साबित कर पा रहे।
आये दिन कोई न कोई नेता, मंत्री, चेला-चपाटा एक ऐसा बयान दे कर सुर्खियों में आ ही जाता है जिसपर हर भारतीय को ऐसे व्यक्ति को चुनाव जिताकर नेता या मंत्री बनाने पर शर्म आनी चाहिए।
रही बात अर्टिफिशियल इंटेलीजेन्स की तो उसके बहुत बड़े कारण हैं। क्या आप जानते हैं कि बहुत पहले से हम भारतीय देश में नही बल्कि विदेश में जा कर रहने के सपने देखते हैं?
आप यह भी जानते होंगे कि आज दुनिया की बड़ी से बड़ी कंपनी में बहुत से भारतीय काफी महत्त्वपूर्ण पदों पर हैं?
क्या आप जानते हैं की आज भी भारत अपने उपयोगों के लिए माइक्रोप्रोसेसर जैसी चीज़ें भी आयात करता है? माइक्रोप्रोसेसर 1970 के दशक में आये थे। आज 50 साल बाद यह हाल है। आज के कंप्यूटिंग जगत का केंद्र बिंदु है माइक्रोप्रोसेसर। बिना इस महत्त्वपूर्ण समाग्री के आप बस दुनिया से खरीद कर एक साथ चिपका कर डब्बे में भर के बेचने का काम कर सकते हैं, कुछ नया नही बना सकते।
हमारे उच्च कोटि के विद्वान, इंजीनियर, गणितज्ञ और अन्य लोग देश मे समसामयिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण खोज कार्यों की तरफ सरकारों की उदासीनता की वजह से दूसरे देशों में जाकर बसना अच्छा समाझते हैं। अब अगर आपने आने विद्वान ही खो दिए तो अर्टिफिशियल इंटेलीजेन्स कहां से आएगा? पकोड़े बेच कर? वोट लेने के लिए मुफ्त चीजें देने से? संसद में लोगों के गले लगने से? या हाथियों की मूर्तियां बनवाने से?