दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल के चेयरमैन ने कहा- चरणामृत की तरह मिल रही है ऑक्सीजन

23 अप्रेल की सुबह दिल्ली के अस्पतालों में ऑक्सीजन की भारी कमी के बीच ख़बर आई कि सर गंगाराम अस्पताल में 25 मरीज़ों की मौत हो गई है और 60 अन्य की जान ख़तरे में है.

कई रातों की तरह पिछली रात को भी सर गंगाराम अस्पताल के 72 वर्षीय चेयरमैन डॉक्टर डीएस राणा लगातार अधिकारियों से मदद के लिए गुहार लगा रहे थे.

बीबीसी से बातचीत में उन्होंने कहा, “हम जूझते रहे कि ऑक्सीजन अब आएगी, अब आएगी.”

रात को याद करते हुए उन्होंने बताया कि अस्पताल के आईसीयू में 30 से अधिक मरीज़ वेंटिलेटर पर थे.

वो कहते हैं, “जो वेंटिलेटर आठ-दस साल पुराने हैं, उनके लिए ऑक्सीजन के लिए जो दबाव चाहिए था, वो नहीं था. हम मैन्युअली ऑक्सीजन देते रहे. ऐसा हमें 13 घंटे करना पड़ा.”

ये कहानी सिर्फ़ सर गंगाराम अस्पताल की ही नहीं है. दिल्ली के बत्रा अस्पताल, सरोज अस्पताल, मूलचंद अस्पतला, पेंटामेड अस्पताल सभी ऑक्सीजन की कमी से जूझ रहे हैं.

देश के कई हिस्सों से ऑक्सीजन की कमी से लोगों की मरने की ख़बरें हैं. ऑक्सीजन सिलेंडर ब्लैक में मिल रहे हैं.

देश की स्वास्थ्य व्यवस्था का ये हाल है कि सोशल मीडिया पर ऑक्सीजन के लिए गिड़गिड़ाते लोगों की बाढ़ है.

लोग सोशल मीडिया पर अपना मोबाइल नंबर छोड़ रहे हैं, सेलेब्रिटीज़, नेताओं, प्रधानमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री, मुख्यमंत्रियों को टैग कर अपनों की जान बचाने की गुहार लगा रहे हैं.

आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक़ कोविड महामारी से भारत में मरने वालों की संख्या दो लाख के नज़दीक पहुँच रही है.

रविवार रात बीबीसी से बातचीत में डॉक्टर राणा ने बताया कि पुराने वेंटिलेटर के लिए ज़रूरी है कि अस्पताल में 3,000 क्यूबिक मीटर के क़रीब ऑक्सीजन का रिज़र्वॉयर हो लेकिन कमी की वजह से ये नहीं हो पा रहा था.

अस्पताल से मिली ताज़ा जानकारी के मुताबिक़ अस्पताल को 64 रिफ़िल सिलेंडर मिले हैं. ऑक्सीजन सिलेंडर का इस्तेमाल कोविड मरीज़ों को कोविड इमरजेंसी से आईसीयू या वार्ड से आईसीयू ले जाने के लिए होता है.

डॉक्टर राणा कहते हैं कि 25 मरीज़ों की मौत ऑक्सीजन की कमी से नहीं हुई.

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