दिन में आप कितनी बार झपकी लेते हैं? यह क्यों ज़रूरी है? जानिए
दिन में झपकियाँ कितनी लूँगा यह निर्भर करता है कितना डेटा ले गया हूँ मष्तिष्क में। बातों से किताबों से कुछ देख सुनकर। वह प्रोसेस होकर कचरा साफ होता है और मष्तिष्क साफ होता है ताकि अगले पल जगह खाली हो पाए।सिर्फ अत्यावश्यक जानकारियां और ज्ञान ही सुरक्षित होता है। अथवा अपडेट होता है डेटा।
आप खुद समझ लें यह कितना जरूरी है भले ही कितना जरूरी हो आंखे खोले रखना। हरपल मष्तिष्क उच्च क्षमताओं की ओर बढ़ने को प्रयासरत है अतः हमें उसे वक़्त देना ही होता है और यह काम कुछ मिंटो की झपकी में हो जाता है। दूषित मल भी होते है तामसिक राजसिक प्रकार के उन्हें भी खत्म करना होता है ज्ञान से तथा सात्विक की दृढ़ता को भी नष्ट करना होता है।
मानव दिव्य अवस्था की ओर निरन्तर बढ़ रहा है बार बार गर्त में गिरकर फिर उठ रहा है। यह सब चलने दो सो लेने दो जिसे सोना हो। भला कोई किसी को रोक पाया है सोने से सिवाय उस सोने वाले कि गंभीरता के।