तैमूर लंग की मृत्यु कैसे हुई ? जानिए आप भी

इन योद्धाओं को इतिहास के पन्नों में ‘दरिंदा’ कहकर नवाजा जाता है। आज इन्हीं दरिंदों में से हम एक ऐसे योद्धा के बारे में बताने जा रहे हैं, जो अपाहिज था लेकिन उसकी ये कमी कभी उसकी कमजोरी नहीं बनी।

इस दरिंदे का नाम था ‘तैमूरलंग’। तिमूर या तैमूर, इसका अर्थ होता है लोहा और लंग से तात्पर्य है लंगड़ा। पांव से अपाहिज होने के कारण ही तिमूर के नाम के पीछे ‘लंग’ लग गया।

कई देशों और राज्यों को चीरता तैमूरलंग आखिरकार भारत की ओर भी रुख करने लगा। यहां वह इस्लाम के प्रचार हेतु एवं मूर्तिपूजा का अंत करने आया था। 1393 में उसने बगदाद से लेकर मेसोपोटामिया पर आधिपत्य स्थापित किया। इन विजयों से उत्साहित होने के बाद ही उसने भारत पर आक्रमण करने का निश्चय किया।

भारत से लौटने के बाद तैमूर ने सन्‌ 1400 में अनातोलिया पर आक्रमण किया और 1402 में अंगोरा के युद्ध में ऑटोमन तुर्कों को बुरी तरह से पराजित किया। सन्‌ 1405 में जब वह चीन की विजय की योजना बनाने में लगा था, उस समय उसकी मृत्यु साधारण जुखाम से हो गई।

तैमूर लंग की मृत्यु के पश्चात् दिल्ली के वायसराय ने कर देना बंद कर दिया, जिसके बाद वह स्वयं स्वतंत्र शासक बन गया। तैमूर लंग का पुत्र दिल्ली का राज्य लेना चाहता था तो उसे नहीं दिया। बाबर तैमूरलंग का तीसरा पोता था। बाबर का पुत्र हुमायूं हुआ, हुमायूं का अकबर, अकबर का जहांगीर, जहांगीर का शाहजहां, शाहजहां का पुत्र औरंगज़ेब हुआ। इन सात पीढ़ियों ने भारत पर राज्य किया। इतिहास गवाह है कि औरंगज़ेब के बाद राज्य टुकड़ों में बँट गया।

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