तीन मछलियों की इस मजेदार कहानी को जरूर पढ़ें

एक बार की बात है।एक बडे तालाब बहुत-सी मछलियां आकर रहती थी।उसी जलाशय में तीन मछलियों का समूह रहता था।जिन के नाम डरी,लड़ी ओर परी था। मछली संकट आने के लक्षण मिलते ही संकट टालने का उपाय करने में विश्वास रखती थी।लड़ी मछली कहती थी कि संकट आने पर ही उससे बचने का यत्न करो।और परी मछली का सोचना था कि संकट को टालने या उससे बचने की बात बेकार है। करने कराने से कुछ नहीं होता, जो क़िस्मत में लिखा है, वह होता है।

मछलियों ने कुछ मछुआरे की बात सुन ली थी की वे वह तालाब में मछली पकड़ेंगे।डरी मछली बोली कि मैं तो मछुआरों के आने से पहली ही यह चली जाऊंगी।इस प्रकार डरी उसी समय वहां से चली गई।लड़ी मछली ने कहा कि हमे मुसीबत का सामना करना चाहिए।और परी मछली बोली कि हमारी किस्मत में जो होना लिखा है वही होगा।इस प्रकार लड़ी ओर परी जलाशय में ही रहीं।

लड़ी मछली ने अपना दिमाग चलाया ओर पानी मे मरे हुए जीव की गंध को अपने शरीर पर लगा लिया।कुछ ही देर में मछुआरे के जाल में लड़ी फस गयी। मछुआरे ने अपना जाल खींचा और मछलियों को किनारे पर जाल से उलट दिया।बाकी मछलियां तो तड़पने लगीं, लेकिन लड़ी दम साधकर मरी हुई मछली की तरह पड़ी रही।

मछुआरे उस मछुआरे ने सोचा कि लड़ी मछली तो बिल्कुल सदी हुई है।इसलिए।मछुआरे ने लड़ी को जलाशय में फेंक दियालड़ी अपनी बुद्धि का प्रयोग कर संकट से बच निकलने में सफल हो गई थी।

परी भी दूसरे मछुआरे के जाल में फंस गई थी और एक टोकरे में डाल दी गई थी।भाग्य के भरोसे बैठी रहने वाली परी ने उसी टोकरी में अन्य मछलियों की तरह तड़प-तड़पकर प्राण त्याग दिए।

इस कहानी से हमे शिक्षा मिलती है कि हमे मुसीबत के समय डटकर मुकाबला करना चाहिए।

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