तिहाड़ जेल का निर्माण कब और किसने करवाया था? जानिए उसके बारे में

तिहाड़ जेल को तिहाड़ आश्रम भी कहा जाता है जो दिल्ली के चाणक्यपुरी से 7 किमी दूर तिहाड़ा गांव में स्थित है. तिहाड़ दक्षिण एशिया का सबसे बड़ा जेल परिसर है. जेल जिसे क़ैदख़ाना व कारागार कहा जाता है तो वहीं कई लोग इसे सुधारगृह के नाम से भी संबोधित करते हैं.

तिहाड़ जेल को सन 1958 के अंदर बनाया गया था। इसको दिल्ली सरकार के द्वारा संचालित किया जाता है। हालांकि तिहाड़ जेल जेल की बजाय एक सामाजिक संस्था अधिक मानी जाती है।


इतिहास में अलग-अलग समय पर शासन-प्रशासन ने जेलों का निर्माण कराया ताकि वे समाज के अवांछित तत्वों को समाज में किसी तरह की अव्यवस्था फैलाने पर उन्हें कैद कर सकें. इसके अलावा कई बार शासन-प्रशासन से बगावत करने वालों को भी जेलों के सीखचों के पीछे डाल दिया जाता है.

1. तिहाड़ जेल सन् 1957 से कुख्यात कैदियों की सेवा में है.

सन् 1966 में इसकी बागडोर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली को दे दी गई थी. सन् 1984 में इसमें और भी सुविधाए जोड़ दी गईं और इस पूरे कॉम्पलेक्स को तिहाड़ जेल का नाम दे दिया गया.

2. तिहाड़ जेल दक्षिण एशिया का सबसे बड़ा कारागार क्षेत्र है.

आज तिहाड़ जेल को दिल्ली कारागार डिपार्टमेंट चलाता है. इस कारागार के भीतर 9 राष्ट्रीय कारागार हैं और यह दिल्ली प्रदेश के भीतर दो कारागारों में से एक है. दूसरा एक जिला कारागार है जिसे रोहिणी कारागृह कॉम्पलेक्स कहते हैं.

3. किरण बेदी एक समय तिहाड़ कैदीगृह की इंस्पेक्टर जनरल थीं, और उन्होंने तिहाड़ जेल की तकदीर और तस्वीर बदल कर रख दी.

जी हां, आप सही सुन रहे हैं. किरण बेदी, जो हमारे देश की पहली महिला आईपीएस अफ़सर थीं. उन्होंने तिहाड़ जेल के माहौल को बदलने में अहम भूमिका निभायी. उन्होंने तिहाड़ जेल के भीतर विपस्सना की शुरुआत करवायी थी और शुरुआती क्लासेस जी.एन गोयनका ने ली थीं. इसके अलावा विशेष बात यह है कि तिहाड़ जेल के भीतर रहते-रहते एक कैदी ने आईएएस की परीक्षा भी पास कर ली थी.

4. तिहाड़ किसी जेल से बढ़कर है, यह एक संस्था है.

इस कारागृह का मुख्य मकसद है कि यहां कैदियों को शिक्षित और जागरुक करके आम नागरिक बनाया जा सके. साथ ही उन्हें कानून की जानकारी और शिक्षा भी दी जाती है ताकि वे कानून की इज्जत करना सीखें. इसके अलावा यहां कैदियों के लिए पुनर्वास की भी व्यवस्था है जहां कैदियों पर और उनके आत्मविश्वास पर काम किया जाता है.

5. तिहाड़ जेल में कई हाई-प्रोफाइल कैदियों उनके ट्रायल के दौरान रखा जाता है, मगर उन्हें भी एक आप कैदी की तरह ही ट्रीट किया जाता है.

पूर्व केंद्रीय संचार मंत्री ए.राजा को तिहाड़ जेल में रुकने और सोने हेतु 7 कम्बल दिए गए थे. राजा की कोटरी में कोई बिस्तर या तकिया नहीं था और उस कोटरी से सटा हुए एक गदैला सा टॉयलेट था. वे दो कम्बल ओढ़ते थे, बाकी चार पर सोते थे और एक को तकिए के तौर पर इस्तेमाल करते थे..

6. तिहाड़ जेल में 6,250 कैदियों को रखने की सुविधा है, मगर यहां 14,000 कैदी रहते हैं.

तिहाड़ जेल में दोषसिद्ध कैदियों के अलावा अंडरट्रायल कैदी भी रहा करते हैं. ज्ञात हो कि जेल के भीतर से भी कई गैंग काम करते हैं और बाहर से आने वाले कैदियों के लिए मुश्किलें पैदा करते हैं.

7. TJ’S यहां का एक यूनिक ब्रांड है, इस ब्रांड के भीतर तिहाड़ जेल के भीतर रह रहे कैदियों द्वारा बनाई गईं वस्तुए बिकती हैं.

TJ’S के भीतर खान-पान की सामग्री जैसे अचार और बेकरी भी बनते हैं. इसके साथ ही यहां हैंडलूम व टेक्सटाइल, फर्नीचर, कपड़े, बैग, शुद्ध सरसों तेल, हस्तनिर्मित सामग्रियां, पेंटीगें, जूट के बैग, हर्बल प्रोडक्ट और कैडल व लाइटों के अलावा बहुत कुछ मिलता है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *