ताजमहल को किस शासक ने बनवाया और उस समय उसकी कुल लागत कितनी थी? जानिए

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन जब भारत आए थे तो ताजमहल को देखने के बाद उन्होंने कहा था “आज मुझे एहसास हुआ इस दुनिया में दो ही तरह के लोग हैं एक वह जिन्होंने ताज देखा है और एक वह जिन्होंने ताज नहीं देखा”
दुनिया में होंगी एक से बढ़कर एक खूबसूरत ईमारते लेकिन ताज जैसी कोई नहीं क्योंकि इसकी बुनियाद में एक बादशाह ने अपना दिल रखा है आज इस पोस्ट में आप ताजमहल के बारे में कुछ दिलचस्प तथ्य रोचक जानकारी जानोगे।

• हजारों टूरिस्ट जो ताजमहल देखने आते हैं वह यह नहीं जानते कि वह जो सामने देख रहे हैं वह ताजमहल का पिछला हिस्सा है दरअसल जो शाही दरवाजा है वह नदी के किनारे दूसरी तरफ है आज के टूरिस्ट ताजमहल को वैसा नहीं देख पाते जैसा कि शाहजहां चाहते थे, मुगल काल में ताज तक पहुंचने के लिए नदी ही मुख्य रास्ता थी यह एक तरह का हाईवे था बादशाह और उनके शाही मेहमान नाव में बैठकर आते थे नदी किनारे एक चबूतरा हुआ करता था नदी बढ़ती गई और चबूतरा नष्ट हो गया बादशाह और उनके मेहमान उसी चबूतरे से ताज आया करते थे।

• यह कहा जाता रहा है कि शाहजहां ने ताजमहल बनाने वाले मजदूरों के हाथ कटवा दिए थे, लेकिन यह बात पूरी तरह से सच नहीं लगती है क्योंकि इस बात का कोई प्रमाण ही मौजूद नहीं है, इतिहासकारों का यह मानना है कि शाहजहां ने मजदूरों और कारीगरों को जिंदगी भर की पगार दे कर यह करारनामा लिखवाया था की वह ऐसी और दूसरी इमारत नहीं बनाएंगे।

• ताजमहल की जो 4 मीनार हैं वह बिल्कुल सीधी नहीं खड़ी है बल्कि चारों बाहर की और थोड़े झुकी हुई हैं और इन्हें ऐसे ही बनाया गया था ताकि भूकंप जैसी आपदा आने पर अगर यह गिरे भी तो बाहर की तरफ गिरे 4 मुख्य मकबरे को कोई नुकसान ना पहुंचे।

• कुतुबमीनार भारत की सबसे ऊंची मीनार है लेकिन शायद आपको जानकर हैरानी होगी कि ताजमहल की ऊंचाई कुतुब मीनार से भी ज्यादा है ताजमहल 73 मीटर ऊंचा है जबकि की कुतुब मीनार की ऊंचाई 72.5 मीटर है।

• दुनिया में जितने भी सुंदर ऐतिहासिक मीनारें उपलब्ध है उनमें सबसे अच्छी लिखावट ताज पर की गई है जैसे ही आप ताज के बड़े दरवाजे से अंदर जाते हो दरवाजे पर लिखा यह सुलेख आपका स्वागत करता है “हे आत्मा! तू ईश्वर के पास विश्राम कर। ईश्वर के पास शांति के साथ रह तथा उसकी परम शांति तुझे पर बरसे” यह लिखावट Thuluth लिपि में है इस लिखावट को डिजाइन करने वाले का नाम अब्दुल हक था जिसे ईरान से बुलाया गया था।

• जिस वक्त शाहजहां बादशाह बने वह मुगल सल्तनत का सुनहरा काल था शाहजहां की बादशाहत में लड़ाइयां नहीं होती थी वह दौर जबरदस्त शानो शौकत का दौर था बादशाह को बड़ी-बड़ी इमारतें बनवाने का शौक था

• ऐसी भव्य इमारत दुनिया ने पहले कभी नहीं देखी थी इसके लिए सफेद संगमरमर राजस्थान के मकराना से लाया गया था कुल मिलाकर 28 किस्म के बेशकीमती रत्न जो कि अलग अलग देशों से मंगवाए गए थे उन्हें सफेद संगमरमर में जड़ा गया था। इन सभी चीजों को विदेश से आगरा लाने के लिए एक हजार से भी ज्यादा हाथी इस्तेमाल किए गए थे।

• ताजमहल आज से करीब 400 साल पहले 1631 में बनना शुरू हुआ था और यह 22 साल बाद 1653 में पूरा हुआ इसका निर्माण 20000 कारीगरों और मजदूरों ने किया था वास्तुकारों का इससे शानदार नमूना दुनिया में और कोई भी नहीं, ताजमहल के निर्माण के लिए हर चीज को हीरे की तरह पर रखकर चुना गया था ताजमहल की दीवारों पर जो नक्काशी है इसकी तकनीक इटली के कारीगरों से सीखी गई थी उज़्बेकिस्तान के बुखारा से संगमरमर को तराशने वाले कारीगर बुलाए गए थे, ईरान से संगमरमर पर लिखावट करने वाले कारीगर बुलाए गए थे और पत्थरों को तलाशने के लिए बलूचिस्तान के कारीगरों को बुलाया गया था।

• 1857 की क्रांति के दौरान अंग्रेजों ने ताज को काफी नुकसान पहुंचाया, उन्होंने कई बेशकीमती रत्नों को ताजमहल की दीवारों से खोदकर निकाल लिया था।

• ताजमहल के मुख्य गुंबद का जो कलश है वह किसी जमाने में सोने का हुआ करता था 19 वी सदी की शुरुआत में सोने के कलश को बदलकर कांसे का कलश लगा दिया गया।

• यह दावे के साथ नहीं कहा जा सकता कि ताजमहल को किसने डिजाइन किया था लेकिन यह कहा जाता है कि 37 लोगों की टीम ने मिलकर ताजमहल का नक्शा तैयार किया था यह 37 वास्तुकार दुनिया के कोने कोने से बुलाए गए थे ताजमहल की नींव बनाते समय ताजमहल के चारों ओर कुएं खोदे गए इन कुआं में ईट पत्थर के अलावा आबनूस और महोगनी के लकड़ी के लट्ठे डाले गए, यह कुंवा ताज़ की नींव को मजबूत बनाते हैं आबनूस और महोगनी की लकड़ियों में यह खासियत होती है कि इन्हें जितनी नमी मिलती है या उतनी ही फौलादी और मजबूत होती जाती है और इन लकड़ियों को नमी में ताज के पास बहने वाली यमुना नदी के पानी से मिलती है।

• 1653 में जब ताज बनकर तैयार हुआ था उसी समय इसके निर्माण की कीमत करोड़ों में आंकी गई थी उसी हिसाब से अगर आज ताज बनवाया जाए तो इसे बनवाने में करीब 57 अरब ₹60 करोड़ लगेंगे

• 1989 में एक भारतीय लेखक पुरुषोत्तम नागेश ने एक किताब लिखी थी जिसका नाम था ताजमहल द ट्रू स्टोरी इस किताब में उन्होंने कई तर्कों के साथ ही यह दावा किया था कि ताजमहल मकबरा बनने से पहले एक शिव मंदिर था और इसका नाम तेजो महालय था सन 2000 में पुरुषोत्तम नागेश ओक ने अपनी बात सिद्ध करने के लिए ताज की साइट खोदने के लिए सुप्रीम कोर्ट को अर्जी दी थी जिसे सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया और आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के मुताबिक ताजमहल पहले शिव मंदिर था इस बात के कोई सबूत नहीं है बल्कि शाहजहां ने ताजमहल को बनवाया था इसके प्रमाण ही इतिहास में मिलते हैं।

• एक कहानी प्रसिद्ध है की शाहजहां यमुना नदी के दूसरी तरफ काले संगमरमर से ऐसा ही एक और काला ताजमहल बनवाना चाहते थे कहा जाता है कि शाहजहां मुमताज की तरह अपने लिए भी एक मकबरा बनवाना चाहते थे लेकिन इससे पहले कि वह काला ताजमहल बनवा पाए औरंगजेब ने उन्हें कैद खाने में डलवा दिया लेकिन इतिहासकार कहते हैं कि यह बाद में बनाई गई मनगढ़ंत कहानियां हैं जिस जगह शाहजहां के काला ताज बनवाने की बात कही जाती है वहां कई बार खुदाई की जा चुकी है लेकिन ऐसा कोई सबूत नहीं मिला जिससे यह पता चले कि शाहजहां काला ताज बनवाना चाहते थे।

• दूसरे विश्व युद्ध में सरकार ने ताजमहल के चारों ओर बांस का घेरा बनाकर सुरक्षा कवच तैयार करवाया था जिससे कि हवाई बॉम्बरों को भ्रमित किया जा सके 1965 और 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के समय भी यही किया गया था।

• ताजमहल की सबसे ज्यादा लोकप्रियता इसके निर्माण से जुड़ अद्भुत प्रेम कहानी की वजह से है बादशाह शाहजहां ने अपनी बेगम मुमताज महल की याद में इस ताजमहल को बनवाया था महज 38 साल की उम्र में अपनी 14वी संतान को जन्म देते वक्त मुमताज की मृत्यु हो गई उस वक्त वह बुरहानपुर में थी अपनी प्रिय बेगम की मृत्यु होने से बादशाह बहुत दुखी हुए जैसे उनकी जिंदगी ही खत्म हो गई हो और आखिर उनकी याद में बादशाह ने ताजमहल बनवाने का फरमान जारी किया।

• मुमताज़ के शव को बुरहानपुर में ही दफनाया गया इसके बाद शाहजहां ने ताजमहल को बनवाना शुरू किया लेकिन बाद में मुमताज के शव को जहां ताजमहल बन रहा था उसके बगीचे में दफनाया गया ताजमहल को बनने में 22 साल लगे और तब तक मुमताज का शव बगीचे में ही दफन रहा बाद में उसे ताज महल के अंदर मुख्य गुंबद के नीचे दफनाया गया।

• शाहजहां का सारा ध्यान ताजमहल को सुंदर बनवाने में ही लगा रहा इसी बीच शाहजहां के ही पुत्र औरंगजेब ने आगरा पर आक्रमण कर दिया ओर शाहजहां को बंदी बना लिया और जब शाहजहां से पूछा गया कि उनकी आखिरी इच्छा क्या है तो उन्होंने कहा कि उन्हें ऐसी जगह बंदी बनाकर रखा जाए जहां से वह सीधे ताज को देख पाएं और उनकी यह ख्वाहिश पूरी कर दी गई कैद में रहते वक्त भी शाहजहां हर वक्त ताज को देखते रहते और वही उन्होंने अपनी जिंदगी की आखिरी सांस ली मृत्यु के के बाद उन्हें मुमताज के साथ ही ताजमहल में दफनाया गया।

• कवि रवींद्रनाथ टैगोर ने ताजमहल के बारे में लिखा है “वक्त के गाल पर एक आंसू हमेशा हमेशा के लिए” उन्होंने ताज की छवि वक्त के गाल पर आंसू के रूप में व्यक्त की है
शाहजहां जानते थे यह दौलत यह शोहरत यह शानो शौकत एक दिन वक्त के साथ सब खत्म हो जाएगा उन्होंने सोचा कि क्यों ना कोई ऐसी चीज बनाई जाए जो हमेशा रहे और शाहजहां ने अपने प्रिय की याद में ताजमहल को बनवाया आज बादशाह नहीं रहा, उसकी सल्तनत नहीं रही बस एक ताज है जिसने बादशाह की सदियों पुरानी प्रेम कहानी को खुद में संजोए रखा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *