तांबे के बर्तनों में भोजन क्यों करना चाहिए
ज्यादातर लोग अपने घरों में स्टील के बर्तनों का इस्तेमाल करते हैं। चम्मच, कटोरी, गिलास और बड़े बर्तन सभी स्टील के ही होेते हैं लेकिन पहले समय लोग अपने घरों में तांबे के बर्तनों में खाना पकाते थे। खाना पकाने से लेकर खाने तक सभी के लिए तांबे के बर्तन ही देखने को मिलते थे जिस वजह से पहले समय के लोगों को बीमारियां भी कम होती थी और दूसरा इन बर्तनों में पका खाना सेहत के लिए काफी फायदेमंद होता था।
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तांबे के गिलास में रात को पानी भर कर रखें और सुबह खाली पेट पीने से पेट की कई समस्याएं दूर होती हैं।
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तांबे के बर्तनों में खाना पकाने से इनमें मौजूद कॉपर भी खाने के साथ मिलकर शरीर में जाता है जो शरीर को कई तरह से फायदे पहुंचाता है।
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तांबे में एंटी इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जिससे इसमें पका खाना खाने से जोड़ों में दर्द और सूजन की समस्या कम होती है।
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इन बर्तनों में खाना खाने या पानी पीने से कैंसर जैसी गंभीर बीमारी होने का खतरा टल जाता है।
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तांबे के बर्तनों में पका खाना खाने से शरीर के विषैले पदार्थ बाहर निकल जाते हैं जिससे किडनी और लीवर स्वस्थ रहते हैं।
तांबे के बर्तन में भूल से भी दूध नहीं पीना चाहिए। आयुर्वेद के अनुसार ऐसा करने से शरीर को नुकसान होता है।
सिट्रिक फूड्स, आचार, दहीं, नींबू का रस और छाछ आदि चीजों को तांबे के बर्तन में खाना-पीना नहीं चाहिए। दरअसल, इसमें पाए जाने वाला एसिड खट्टी चीजों के साथ गलत प्रतिक्रिया करते हैं, जिससे घबराहट, जी मचलाना आदि होने के साथ आप फूड पॉइजनिंग हो सकती है।
रखें पूरी सफाई
इस बात का जरुर ध्यान रखें की अंदरूनी तले को अच्छी तरह साफ करें, नहीं तो इस पर कॉपर ऑक्साइड की परत जमने लगेगी जो आपकी सेहत के लिए बिलकुल सही नहीं है। ऐसा इसलिए क्योंकि कॉपर ऑक्साइड की परत के कारण तांबे के साथ पानी का सीधा संपर्क नहीं हो पाता और इस कारण रासायनिक क्रिया नहीं हो पाती।