डायबिटीज के लक्षण और उपाय क्या हैं?

टाइप 1 डायबिटीज़ और टाइप 2 डायबिटीज़ के लक्षण एक समान ही होते है, इसलिए हम इसे आपको एक साथ बता रहे है। टाइप 1 डायबिटीज़ के लक्षण कुछ दिनों में ही ( एक से डेढ़ महीने के भीतर) नजर आने लगते है, परंतु टाइप 2 डायबिटीज़ के लक्षण दिखाई देने में बहुत समय लग जाता है ।

टाइप 1 डायबिटीज़ और टाइप 2 डायबिटीज़ के लक्षण :-

अत्यधिक भूख लगना :-

शरीर में पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन न होने के कारण शरीर ग्लूकोज को ऊर्जा में परिवर्तित नहीं कर पाता। ऊर्जा की कमी पूरी करने के लिए डायबिटीज मरीजों को बार-बार भूख लगती।

बार-बार पेशाब आना :-

जब आपके शरीर में ग्लूकोज की मात्रा बहुत अधिक बढ़ जाती है, तब किडनी (गुर्दा) पेशाब के जरिए अतिरिक्त ग्लूकोज बाहर निकालने की कोशिश करती है, जिसके कारण आपको बार-बार पेशाब आ सकती है।

अत्यधिक प्यास लगना :-

लगातार पेशाब होने के कारण आपके शरीर में पानी कम हो सकता है और आपका शरीर सूखा पड़ सकता है, जिसके कारण आपको बार-बार प्यास लग सकती है।

थकान महसूस होना :-

शरीर में पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन न होने के कारण, हमारा शरीर ग्लूकोज को ऊर्जा में परिवर्तित करने में विफल रहता है और अत्यधिक पेशाब के कारण शरीर सूखा पड़ जाता है, इस कारण आपको थकान महसूस हो सकती है।

धुँधला दिखाई देना :-

अगर आपका ग्लूकोज लेवल लंबे समय तक बढ़ा हुआ है या बहुत ज्यादा समय से कम है, तो डायबिटीज़ आपके देखने की क्षमता को प्रभावित कर सकती है। बढ़े हुए शुगर लेवल के कारण आँख के अंदर के लेंस में सूजन आ सकती है, जिसके परिणामस्वरूप आंखों की रोशनी कम हो सकती है। इसमें डायबिटिक रेटिनोपैथी एक आम स्थिति है। जब डायबिटीज़ की वजह से रेटिना की रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुँचता है, तो हम इसे डायबिटिक रेटिनोपैथी कहते है। अगर आपको बहुत लंबे समय से टाइप 1 या 2 डायबिटीज़ है, तो आपको डायबिटिक रेटिनोपैथी की परेशानी हो सकती है। पर अगर आप योग्य आहार लें, नियमित व्यायाम करें और दवाइयाँ सही समय पर लें, तो आपका शुगर लेवल वापस सामान्य सीमा पर आ सकता है, जिससे हो सकता है की,आपकी दृष्टि वापस आ जाए।

न चाहते हुए भी वजन कम होना :-

इंसुलिन की कमी के कारण शरीर ग्लूकोज को शरीर की कोशिकाओं तक पहुँचाने में विफल रहता है, परिणामस्वरूप शरीर को ऊर्जा नहीं मिलती। ऐसी परिस्थिति में शरीर ऊर्जा के लिए वसा और मांसपेशियों को जलाना शुरू कर देता है, जिससे आपका वजन अचानक से कम हो सकता है।

चिड़चिड़ापन :-

अगर आपका शुगर लेवल बहुत लंबे से बहुत ज्यादा या बहुत कम है और अगर आप उसे नियंत्रित नहीं कर पा रहे है, तो यह आपकी मानसिक और भाव पूर्ण (इमोशनल) स्थिति को भी प्रभावित कर सकता है। जिसके कारण आप तनाव, अवसाद और चिंता का भी अनुभव कर सकते है। आपकी मनोदशा में बार-बार बदलाव आ सकते है, जिसे मूड स्विंग भी कहाँ जाता है। शुगर लेवल को नियंत्रित न कर पाने के कारण बुरा महसूस होना, चिड़चिड़ापन जैसे मनोदशा में बदलाव हो सकते है।

बार-बार खमीर (यीस्ट) संक्रमण और त्वचा में खुजली :-

जिन लोगों को डायबिटीज़ होता है, वह लोग आम लोगों की तरह संक्रमण से लड़ने में सक्षम नहीं होते हैं, जिसके कारण उन्हें बार-बार खमीर संक्रमण हो सकता है। डायबिटीज़ के कारण नसों को नुकसान पहुँचना,खमीर संक्रमण होना, त्वचा में खुजली होना यह डायबिटीज के कुछ आम लक्षण है। डायबिटीज में खमीर संक्रमण (यीस्ट इन्फेक्शन) और फंगल इन्फेक्शन के इलाज के लिए आप इट्राकोनाजोल और फ्लुकोनाज़ोल का इस्तेमाल कर सकते है, पर वोरिकोनाज़ोल का इस्तेमाल न करें, क्योंकि यह लो ब्लड शुगर का कारण बन सकता है।

घाव जल्दी ठीक न होना :-

जब लंबे समय से डायबिटीज होने के कारण, अत्यधिक मात्रा में ग्लूकोज रक्त में जमा हो जाता है। तब डायबिटीज़ आपकी नसों और धमनियों को भी नुकसान पहुँचाना शुरू कर देता है, जिसके कारण शरीर के हर हिस्से को पर्याप्त मात्रा में खून (ऑक्सीजन) नहीं मिल पाता। पर्याप्त खून न मिलने के कारण त्वचा की मरम्मत जल्दी नहीं हो पाती।

पुरुषों और महिलाओं में सेक्स ड्राइव की कमी, एरेक्टाइल डिस्फ़ंक्शन (ईडी), और योनि में खमीर संक्रमण :-

अगर आपको लंबे समय से डायबिटीज़ है, तो यह आपके धमनियों को नुकसान पहुँचा सकता है। धमनियाँ दिल से हमारे शरीर के बाकि अंगों को खून पहुँचाती है, जब डायबिटीज़ के कारण धमनियों को नुकसान पहुँचता है, तो यह धमनियाँ शरीर के बाकि अंगों की तरह लिंग और योनि को भी पर्याप्त मात्रा में खून पहुँचाने में विफल रहती, जिसके कारण पुरूषों में और महिलाओं में सेक्स ड्राइव में कमी, एरेक्टाइल डिस्फ़ंक्शन (ईडी), योनि में खमीर संक्रमण जैसी परेशानियाँ हो सकती है।

जेस्टेशनल डायबिटीज़ (गर्भावधि मधुमेह) के लक्षण :-

आमतौर पर जेस्टेशनल डायबिटीज़ से पीड़ित महिलाओं में कोई लक्षण नजर नहीं आते, परंतु जब छठे या सातवें महीने में जब किसी महिला का शुगर लेवल की जाँच की जाती है, तब उन्हें जेस्टेशनल डायबिटीज़ है या नहीं इसका पता चलता है। बहुत ही कम मामलों में यह देखा गया है की, जिन महिलाओं को जेस्टेशनल डायबिटीज़ है, उन्हें अत्यधिक भूख लगना, अत्यधिक प्यास लगना, लगातार पेशाब आना जैसे लक्षणों का अनुभव होता है।

प्रीडायबिटीज के लक्षण :-

जेस्टेशनल डायबिटीज़ की तरह आमतौर पर प्रीडायबिटीज के भी कोई लक्षण नहीं होते, परंतु कुछ प्रीडायबिटीज वाले लोगों में गर्दन, बगल, कोहनी और घुटने का कुछ हिस्सा काला हो जाता है, शायद यह प्रीडायबिटीज का एक संभावित संकेत हो सकता है।

डायबिटीज़ (मधुमेह,शुगर) का उपचार :-

डायबिटीज़ से मुक्त होना इतना आसान नहीं है क्योंकि डायबिटीज़ एक लंबे समय तक चलने वाली बीमारी है, लेकिन अच्छे आहार, व्यायाम और कुछ दवाइयों के उपयोग से इसे नियंत्रण में रखा जा सकता है।

डायबिटीज (मधुमेह,शुगर) में इंसुलिन का उपयोग :-

टाइप १ और टाइप 2 डायबिटीज़ में इंसुलिन का इस्तेमाल :-टाइप 1और टाइप 2 डायबिटीज़ दोनों ही स्थिति में इंसुलिन का उपयोग किया जाता है। आमतौर पर टाइप 1और टाइप 2 डायबिटीज़ वाले मरीज़ों के लिए इंसुलिन के विभिन्न उपकरणों का उपयोग किया जाता है, जैसे इंसुलिन इंजेक्शंस और इंसुलिन पेन। आमतौर पर टाइप 2 डायबिटीज़ में टाइप १ डायबिटीज़ जितना इंसुलिन का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। क्योंकि टाइप १ डायबिटीज़ तब होता है, जब हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली हमारे अग्नाशय पर हमला करती है, और इंसुलिन का निर्माण करने वाली बीटा कोशिकाओं को नष्ट कर देती है, प्रतिरक्षा प्रणाली ऐसा क्यों करती है इसका कारण अभी अस्पष्ठ है। इसलिए टाइप 1 डायबिटीज़ को इंसुलिन के बिना नियंत्रित नहीं किया जा सकता है। टाइप 2 डायबिटीज़ का भी सही कारण अभी तक स्पष्ट नहीं है, पर यह माना जाता है की, कम शारीरिक गतिविधि, वंशागति, तनाव और अधिक वजन होने के कारण यह हो सकता है, इसलिए टाइप 2 डायबिटीज़ के शुरुवाती समय में इंसुलिन का ज्यादा उपयोग करने के बजाय जीवनशैली में बदलाव, स्वस्थ आहार, व्यायाम और दवाइयों का सही समय पर इस्तेमाल करने पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है। परंतु अगर किसी को बहुत लंबे समय से टाइप 2 डायबिटीज़ है, तो डॉक्टर उसके शुगर लेवल के हिसाब से उसे इंसुलिन लेने की सलाह देते है।

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