टेस्ट क्रिकेट के इतिहास के सबसे रोमांचक ड्रॉ मैच कौन से रहे हैं?

5 दिन की अवधि और धीमी बल्लेबाज़ी के कारण टेस्ट मैचों को अक्सर उबाऊ माना जाता है, लेकिन कुछ ऐसे भी मैच खेले गए है जिनमे बेहद रोमांचक क्षण देखने को मिले है ऐसे ही तीन टेस्ट मैचों का ज़िक्र यहाँ कर रहा हूँ ….

1:- बात वर्ष 2011 की है जब वेस्टइंडीज की टीम 3 टेस्ट मैच की सीरीज खेलने के लिए भारतीय दौरे पर आयी हुई थी, भारत इस सीरीज के शुरुआती दो मैच जीतकर पहले ही श्रृंखला अपने नाम कर चुका था । अब भारत की नज़रे तीसरा और अंतिम टेस्ट मैच जीतकर श्रंखला में क्लीन स्वीप करने पर थी ।

मुंबई के वानखेड़े स्टेडयम में 22 से 26 नवंबर 2011 को खेले गए इस मैच की पहली पारी में वेस्टइंडीज़ टीम ऊपरी क्रम के शानदार प्रदर्शन और डैरेन ब्रावो के 166 रन की बदौलत 184.1 ओवर में 590 रन बनाकर आउट हुई । जवाब में भारत निचले क्रम में रविचंद्रन अश्विन के पहले टेस्ट शतक की मदद से 482 का स्कोर बनाया और 108 रन से पिछड़ गया ।

दूसरी पारी में भारतीय गेंदबाज़ो ने कमाल की गेंदबाज़ी करते हुए पूरी विंडीज टीम को 57.2 ओवर में मात्र 134 रन पर ढेर कर दिया । इस पारी में प्रज्ञान ओझा ने 27 ओवर में 47 रन देकर 6 और रविचंद्रन अश्विन ने 15.2 ओवर में 34 रन देकर 4 विकेट लिए । इस प्रकार मैच के आखिरी दिन भारत के सामने 64 ओवर में 243 रन का लक्ष्य था ।

हालाँकि दूसरी पारी में भारत की शुरुआत भी अच्छी नहीं रही और पहला विकेट गौतम गंभीर के रूप में 19 रनो के योग पर खो दिया । उसके बाद सहवाग और द्रविड़ भारत के स्कोर को 100 के पार ले गए, मगर 101 रन पर भारत को सहवाग के रूप में बहुत बड़ा झटका लगा जब सहवाग 60 रन बनाकर देवेंद्र बिशू की बॉल पर डैरेन सैमी को कैच दे बैठे ।

उस से भी बड़ा झटका उस समय लगा जब सहवाग के आउट होने के 5 रन बाद सचिन और 12 रन बाद द्रविड़ भी आउट होकर पवेलियन लौट गए और भारत का स्कोर हो गया 24.1 ओवर में 113–4 । यहाँ से कोहली और लक्ष्मण के बीच 52 रनो की छोटी मगर महत्वपूर्ण साझेदारी हुई । जब ऐसा लग रहा था कि भारत इस मैच पर अपनी पकड़ बना चुका है तभी लक्ष्मण रवि रामपाल की गेंद पर एड्रिअन बराथ को कैच दे बैठे ।

उसके बाद आये धोनी भी कुछ खास नहीं कर सके और 189 के कुल स्कोर पर 13 रन बनाकर रवि रामपाल का शिकार बने, जब धोनी 189 पर आउट हुए, तब भी भारत को कोहली और पुछल्ले बल्लेबाज़ों के साथ 14.2 ओवर में 50 रन की दरकार थी, मगर 224 रन के कुल स्कोर पर कोहली भी देवेंद्र बिशू के गेंद पर एडवर्ड्स के द्वारा लपक लिए गए ।

जब कोहली आउट हुए उस समय भारत को जीत के लिए 3.5 ओवर यानि 23 गेंदों पर 19 रन की ज़रूरत थी और भारत के पास केवल 3 विकेट शेष थे, भारत के लिए अच्छी बात ये थी कि पहली पारी में शतक लगाने वाले अश्विन अभी क्रीज पर मौजूद थे । अश्विन और इशांत के प्रयासों ने मैच को आगे बढ़ाया लेकिन ये क्या लक्ष्य से मात्र 4 रन पहले रवि रामपाल ने 63वे ओवर की पांचवी गेंद पर इशांत शर्मा को बोल्ड कर दिया, पूरे मैदान में सन्नाटा छा गया । अब भारत को अंतिम ओवर में जीत के लिए 4 रन बनाने थे ।

विंडीज कप्तान डैरेन सैमी ने फिदेल एडवर्ड्स को अंतिम ओवर की जिम्मेदारी सौंपी । स्ट्राइक पर थे वरुण आरोन पहली गेंद डॉट बॉल, दूसरी गेंद डॉट बॉल, तीसरी गेंद डॉट बॉल !

मैदान पर गेंदबाज़ का सामना कर रहे बल्लेबाज़ के साथ-साथ सभी दर्शक भी दिल थामे बैठे थे । एडवर्ड्स की लगातार 3 डॉट बॉल के बाद रोमांच अपने चरम पर था । जैसे ही एडवर्ड्स ने 4थी गेंद फेंकी आरोन ने गेंद को मिड-ऑफ की तरफ धकेला मगर ये क्या कप्तान सैमी से मिसफील्ड हुआ और भारत को एक रन मिल गया । अब स्ट्राइक पर थे पहली पारी के शतकवीर अश्विन और एडवर्ड्स अंतिम ओवर की पांचवी गेंद लेकर दौड़े, मगर……….एक और डॉट बॉल !

एक गेंद बाकि है और 2 रन की दरकार ! दो परिणामों से इनकार नहीं किया जा सकता, या तो भारत जीत सकता है या यह ड्रा होगा । हर कोई अब दो रनो को को बचा रहा है, एक रन सभी जगह उपलब्ध है । एडवर्ड्स चलता है, क्या यह अश्विन का टेस्ट है ? क्या यही नियति है ? अश्विन ने खेला, दो रन की ज़रूरत, एक रन पूरा हुआ दुसरे के लिए दौड़े लेकिन आउट, रन आउट ! कमाल का टेस्ट मैच एक रन आउट के साथ समाप्त हुआ, और क्या खूब बचाव किया 3 रनो का एडवर्ड्स ने ।

सैमी के चेहरे पर एक मुस्कान है जिसे आप मिटा नहीं पाएंगे । मैच खत्म होने के पांच मिनट बाद तक वह हंसता रहा । कोहली व्याकुल हैं । फ्लेचर उसे सांत्वना देता है । आखिरी बार ऐसा हुआ था जब इंग्लैंड जिम्बाब्वे को हराने के करीब था मगर इसी तरह मैच ड्रा हो गया था ।

2:- वानखेड़े में विंडीज के खिलाफ भारत का रोमांचकारी आखिरी गेंद पर स्कोर बराबर होकर टेस्ट का ड्रा हो जाना पहली बार नहीं था । 1996 में इंग्लैंड और जिम्बाब्वे के बीच इस तरह का पहला टेस्ट हुआ, इसी प्रकार ड्रा रहा था ।
18 से 22 दिसंबर 1996 को इंग्लैंड और ज़िम्बाब्वे के बीच खेला गया टेस्ट मैच स्कोर की बराबरी पर ड्रा हुआ था । यह पहली बार था कि कोई टेस्ट मैच स्कोर की बराबरी पर ड्रा हुआ था ।

जिम्बाब्वे के विकेटकीपर-बल्लेबाज एंडी फ्लावर के 112 रन की सहायता से ज़िम्बाब्वे की पहली पारी 137.5 ओवर में 376 रन पर समाप्त हुई, जवाब में इंग्लैंड ने नासिर हुसैन और जॉन क्रालय के शतकों की मदद से 406 रन बनाकर पहली पारी में 30 रनो की बढ़त प्राप्त की ।

ज़िम्बाब्वे की टीम अपनी दूसरी पारी में एंडी वालर और गाए विट्टल के अर्धशतक की मदद से मात्र 234 रन ही बना सकी और इंग्लैंड को जीत के लिए 37 ओवर में 205 रन का लक्ष्य मिला ।

दूसरी पारी में लक्ष्य का पीछा करते हुए इंग्लैंड ने साहसपूर्वक खेला और 5 रन प्रति ओवर से ज्यादा की गति से रन बनाये ।
अंतिम ओवर में इंग्लैंड को जीत के लिए 13 रनों की आवश्यकता थी । इंग्लैंड के महज पांच विकेट गिरे थे और ओपनर निक नाईट रनो पर इंग्लैंड को जितने के लिए नाबाद थे।

तेज़ गेंदबाज़ हीथ स्ट्रीक अंतिम ओवर फेंक रहे थे, उन्हें 13 रनो का बचाव करना था । एक डॉट बॉल, दूसरी डिलीवरी पर दो रन और तीसरी गेंद पर निक नाइट ने हीथ स्ट्रीक को मिड-विकेट पर छक्का जड़ दिया । दो रन और पेनल्टी बॉल से बनाये गए और अब अंतिम डिलीवरी को जीतने के लिए 3 रन की जरूरत थी । निक नाइट ने डीप कवर की और शॉट लगायाा और दो रन पूरे किये लेकिन जीत की तलाश में एक गैर-मौजूद तीसरे रन के लिए दौड़ पड़े, तीसरा रन पूरा होता इस से पहले ही एंडी फ्लावर ने उन्हें रन आउट कर दिया । इस प्रकार टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में पहली बार कोई टेस्ट मैच स्कोर बराबर होने के कारण ड्रा हो गया ।

3:- वर्ष 2013 में दक्षिण अफ्रीका के दौरे पर गयी भारतीय टीम के कप्तान एमएस धोनी ने वांडरर्स, जोहान्सबर्ग में उछाल भरी परिस्थितियों में पहले बल्लेबाजी करने का निर्णय लिया, कोहली की 119 रनों की पारी की बदौलत भारत ने 280 रनों का अच्छा खासा स्कोर बनाया । जवाब में अफ्रीकी टीम जहीर खान, ईशांत शर्मा और मोहम्मद शमी की भारतीय गति तिकड़ी के सामने 244 रन ही बना सकी । जिससे मेहमान भारत को 36 रन की छोटी मगर महत्वपूर्ण बढ़त मिली ।
इस टेस्ट मैच की दूसरी पारी में चेतेश्वर पुजारा ने नाबाद 153 रनों की पारी खेली और कोहली सिर्फ चार रन से एक और शतक से चूक गए । भारत आखिरकार 421 रन पर आउट हो गया ।
अब दक्षिण अफ्रीका को अधिकतम 136 ओवरों में जीत के लिए 458 रनों के लक्ष्य मिला जिसका पीछा करते हुए अल्वीरो पीटरसन और ग्रीम स्मिथ ने 108 की शुरुआती साझेदारी की, लेकिन इसके बाद जल्दी-जल्दी विकेट गिरने के कारण स्कोर 197-4 हो गया ।
हार लगभग निश्चित लग रही थी क्यूंकि करीब आधी टीम आउट हो चुकी थी और लगभग एक दिन के बराबर खेल बाकि था ।
हालांकि, एबी डिविलियर्स और फाफ डु प्लेसिस ने पांचवें विकेट के लिए 205 रन जोड़े और शेष ओवरों में से अधिकांश का उपभोग किया, जिससे या तो एक अच्छा ड्रा किया जा सके या एक चमत्कारी जीत प्राप्त की जा सके ।
जब डु प्लेसिस आउट हुए उस समय दक्षिण अफ्रीका को जीत के लिए 3 ओवर में सिर्फ 16 रन की आवश्यकता थी । मगर बड़े ही नाटकीय ढंग से स्टेन और फिलैंडर दो मेडेन ओवर खेल गए और स्कोर को लक्ष्य से महज आठ रन दूर छोड़ दिया ।

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