जानें! ये कागज के टुकड़े नोट बनकर कैसे हो जाते हैं आपकी ज़िन्दगी का हिस्सा

नकली को असली नोटों से अलग कैसे पहचानें, यह तो हम पढ़ते रहे हैं, इसी बीच यह भी प्रश्न खड़ा होता है कि नोटों का मामला आखिर क्या है?500 और 1000 के नोट बैन होने से लोगों के बीच बदहवासी का आलम है। चारों तरफ नोटों का हल्ला मचा हुआ है। लोग घण्टों कतारों में लग कर या तो नोट बदला रहे हैं या बैंकों में जमा कर रहे हैं। नकली को असली नोटों से अलग कैसे पहचानें, यह तो हम पढ़ते रहे हैं। इसी बीच यह भी प्रश्न खड़ा होता है कि नोटों का मामला आखिर क्या है?

क्योंकि पैसा-पैसा सब करते हैं लेकिन ये पैसा, ये रुपया बनता कैसे है? हम लोग सुबह से लेकर शाम तक काम करते है। उसके बाद जो पैसा मिलता है। उसे हम खर्च करते हैं ये फिर बैंक में जमा कर देते हैं। लेकिन आपने कभी सोचा है कि ये पैसा कैसे बनता है या पैसा छापने वाली मशीन कहा है और कैसे काम करती है।
नकली को असली नोटों से अलग कैसे पहचानें, यह तो हम पढ़ते रहे हैं, इसी बीच यह भी प्रश्न खड़ा होता है कि नोटों का मामला आखिर क्या है?हम बताते हैं आपको कि कैसे एक कागज का टुकड़ा आपकी जीवन संगिनी बन जाता है-

3.58 रुपए में छपता था 500 रुपए का एक नोट

देश में मौजूदा समय में 500 रुपए कीमत के जिस नोट को मोदी सरकार ने बाहर किया है, उसे छापने की लगात 3.58 रुपए थी। 500 रुपए के एक नोट की औसत लाइफ करीब 5-7 साल बताई जाती है।

पैसा छापने वाली मशीन का पेपर इन जगह होता है तैयार
आपको जानकार हैरानी होगी कि पैसा छापने वाली मशीन का कागज तैयार करने के लिए दुनिया में चार फर्म हैं। फ्रांस के अर्जो विगिज। अमेरिका के पोर्टल। स्वीडन के गेन। पेपर फैब्रिक्स ल्यूसेंटल। यह विकास दर, मुद्रास्फीति दर, कटे-फटे नोटों की संख्या और रिजर्व स्टॉक की जरूरतों पर निर्भर करता है।

यहां है नोट छापने वाली मशीन
नोट बैन से पहले देश में चार बैंक नोट प्रेस, चार टकसाल और एक पेपर मिल है। पैसा छापने वाली मशीन मध्य प्रदेश, नासिक, सालबोनी और मैसूर में हैं।
मध्य प्रदेश के ही होशंगाबाद में सिक्यॉरिटी पेपर मिल है। नोट छपाई पेपर होशंगाबाद और विदेश से आते हैं। जबकि टकसाल मुंबई, हैदराबाद, कोलकाता और नोएडा में हैं

इसी तरह 1000 रुपए के नोटों की छपाई पर करीब 3.17 रुपए का खर्च आता है। हालांकि आरटीआई के तहत पूछी गई जानकारी में सरकार ने बताया था कि 1000 रुपए के नोटों को छापने में 4.1 रुपए का खर्च आता है। वहीं आरबीआई की सालाना रिपोर्ट के मुताबिक, यह कीमत करीब 3.17 रुपए ठहरती है। मीडिया रिपोर्ट का दावा है कि इसकी जगह आने वाले नए नोटों की कीमत करीब 4 रुपए पड़ेगी। इस नोट की भी उम्र करीब 5 से 7 साल के बीच मानी जाती है।
रिजर्व बैंक के देशभर में 18 इश्यू ऑफिस हैं। ये अहमदाबाद, बेंगलुरू,बेलापुर, भोपाल, भुवनेश्वर, चंडीगढ़, चेन्नई, गुवाहाटी, हैदराबाद, जयपुर, जम्मू, कानपुर, कोलकाता, मुंबई, नागपुर, नई दिल्ली, पटना व थिरुवनंतपुरम में स्थित हैं। इसके अलावा एक सब-ऑफिस लखनऊ में है। प्रिंटिग प्रेस में छपे नोट सबसे पहले इन ऑफिसों में पहुंचते हैं। यहां से उन्हें कमर्शियल बैंक की शाखाओं को भेजा जाता है। \n
बेकार हो चुके नोटों को कहां जमा करते हैं?:
नोट तैयार करते वक्त ही उनकी ‘शेल्फ लाइफ’ (सही बने रहने की अवधि) तय की जाती है।
यह अवधि समाप्त होने पर या लगातार प्रचलन के चलते नोटों में खराबी आने पर रिजर्व बैंक इन्हें वापस ले लेता है। बैंक नोट व सिक्के सर्कुलेशन से वापस आने के बाद इश्यू ऑफिसों में जमा कर दिए जाते हैं।
फटे नोट किये जाते हैं नष्ट
रिजर्व बैंक सबसे पहले इनके असली होने की जांच करता है। उसके बाद इन नोटों को अलग किया जाता है। जो दोबारा जारी किए जा सकते हैं। बेकार हो चुके नोटों को नष्ट कर दिया जाता है। इसी तरह सिक्कों को गलाने के लिए मिंट भेज दिया जाता है।
ऐसे छपते हैं नोट
विदेश या होशंगाबाद से आई पेपर शीट एक खास मशीन सायमंटन में डाली जाती है। फिर एक अन्य मशीन जिसे इंटाब्यू कहते हैं उससे कलर किया जाता है। यानी कि शीट पर नोट छप जाते हैं। इसके बाद अच्छे और खराब नोट की छटनी हो जाती है। एक शीट में करीब 32 से 48 नोट होते हैं। खराब को निकालकर अलग करते हैं। \n
शीट पर छप गए नोटों पर नंबर डाले जाते हैं। फिर शीट से नोटों को काटने के बाद एक-एक नोट की जांच की जाती है। फिर इन्हें पैक किया जाता है। पैकिंग के बाद बंडलों को विशेष सुरक्षा में ट्रेन से भारतीय रिजर्व बैंक तक भेजा जाता है

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *