जानें आप जो दूध पी रहे हैं कितना है पौष्टिक, सोमेटिक सेल्स तय करता है गुणवत्‍ता, करनाल में बड़ा शोध

आप रोज दूध पीते होंगे, लेकिन सवाल उठता है यह कितना पौष्टिक है। इस संबंध में करनाल स्थित राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान (NDRI) में महत्‍वपूर्ण अनुसंधान हुआ है। दरअसल दुधारु पशुओं में सोमे‍टिक सेल्‍स जितने कम होंगे उसके दूध की गुणवत्‍ता बेहतर होगी। शोध में खुलासा हुआ है कि भारतीय दुधारु पशुओं में सोमेटिक सेल्‍स की संख्‍या अधिक होती है।

इस कारण यह उतना पौष्टिेक नहीं होता है और भारत का दूध अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर नहीं टिक पाता है दरअसल, सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश होने के बावजूद विदेश में दूध व इससे निर्मित उत्पादों के निर्यात में भारत काफी पीछे है। इस क्षेत्र में देश की हिस्सेदारी बमुश्किल दस फीसदी है। इसका सबसे प्रमुख कारण भारतीय पशुओं के दूध की गुणवत्ता अंतरराष्ट्रीय मानकों पर खरा नहीं उतरना है। करनाल स्थित एनडीआरआइ (NDRI) आंतरिक तंत्र में पशुओं के साेमेटिक सेल की मात्रा के मानक तय करने के साथ इनकी संख्या घटाने पर फोकस कर रहा है।

इससे अंतरराष्ट्रीय कसौटी के अनुरूप दूध की गुणवत्ता बढ़ाने में कारगर मदद मिलेगी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सोमेटिक सेल को दूध की गुणवत्ता मापने का अहम पैरामीटर माना जाता है। ये दूध में मौजूद बेहद महत्वपूर्ण श्वेत रक्त कोशिकाएं होती हैं, जिन्हें ल्यूकोसाइट्स भी कहते हैं। विभिन्न कारणों से संक्रमित पशुओं के थनों में अक्सर इनकी मात्रा बढ़ जाती है। पहले सेल मापने के लिए स्लाइड व माइक्रोस्कोप का प्रयोग किया जाता था जबकि अब खास टेस्ट होते हैं।

एनडीआरआइ के लेक्ट्रेशन एंड इम्युनोफिजियोलॉजी विभाग की प्रयोगशाला में इसके लिए अत्याधुनिक उपकरणों की मदद ली रही है भारत में अमूमन दूध की गुणवत्ता मापने के लिए फैट वैल्यू पर ध्यान देते हैं जबकि विकसित देशों में सोमेटिक सेल की मात्रा परखी जाती है। इसीलिए भारतीय पशुओं में सोमेटिक सेल की मात्रा अधिक मिलने से दूध या दूध से बने उत्पाद निर्यात नहीं हो पाते।

कीमतों पर भी इसका असर पड़ता है।सोमेटिक सेल काउंट दूध में शामिल दैहिक कोशिकाओं की एक कोशिका गणना होती है। इससे दूध की गुणवत्ता का पता चलता है। खासकर, हानिकारक बैक्टीरिया व उच्चस्तरीय खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए इसे परखा जाता है। श्वेत रक्त कोशिकाएं अधिकांश दैहिक कोशिकाओं का गठन करती हैं। सोमेटिक सेल बढ़ने से दूध में फैट घट जाता है। अक्सर यह पीने योग्य भी नहीं रहता

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