जानिए लैकलांची सेल में इलेक्ट्रोलाइट के रूप में क्या प्रयुक्त होता है ?

वोल्टैइक तथा डेनियल सैलो में गंधक का अम्ल इस्तेमाल किया जाता है परंतु लैकलांची ने अम्ल रहित प्रकार के प्राथमिक सैल का निर्माण किया इसमें कांच के बेलनाकार पात्र में अमोनियम क्लोराइड का घोल भरा जाता है.

जो इलेक्ट्रोलाइट का कार्य करता है पात्र के बीच में एक लंबे बेलनाकार सरंध्र-पात्र में मैंगनीज डाइऑक्साइड चूर्ण भरा जाता है.

इस सेल का का आविष्कार फ्रांस के वैज्ञानिक जॉर्जेस लैकलांची ने की थी। इन्होंने यह बताया कि मैंने इस सेल को बनाने के लिए एक पात्र में इलेक्ट्रोलाइट के रूप में अमोनियम क्लोराइड का घोल भरा। इसके बाद इस घोल में एक कार्बन की छड़ डाल दी।

यह छड़ कैथोड का काम करती है।इसके अतिरिक्त अमोनियम क्लोराइड के घोल में एक जस्ते की छड़ डाल दी या डुबो दी। यह छड़ एनोड का काम करती है। इसमें विध्रुवक के रूप में मैंगनीज-डाई-ऑक्साइड का उपयोग किया है।

इस सेल का आंतरिक प्रतिरोध 1 – 5 ओम तक होता है और इसका विद्युत वाहक बल 1.46 वोल्ट होता है।

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