जानिए पैंगोंग झील से जुड़ी रोचक बातें क्या हैं?
खारे पानी की इस झील की सबसे खास बात ये है कि यह शीत ऋतु में पूरी तरह जम जाती है, जिसके बाद आप चाहें तो उसपर गाड़ी भी चला सकते हैं या आइस स्केटिंग या फिर पोलो भी खेल सकते हैं। हालांकि इसके लिए विशेष इजाजत लेनी पड़ती है।
आपको शायद पता न हो, लेकिन इस झील का 45 किलोमीटर क्षेत्र भारत (लद्दाख) में स्थित है, जबकि इसका 90 किलोमीटर क्षेत्र तिब्बत (चीन) में पड़ता है। माना जाता है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) इस झील के मध्य से होकर गुजरती है। हालांकि इसकी सटीक स्थिति को लेकर अक्सर भ्रम की स्थिति बनी रहती है।
इस झील का पानी इतना खारा है कि इसमें मछली या फिर अन्य कोई जलीय जीवन है ही नहीं। हालांकि कई प्रवासी पक्षियों के लिए यह एक महत्त्वपूर्ण प्रजनन स्थल जरूर है। इस झील का औसत तापमान माइनस 18 डिग्री से माइनस 40 डिग्री के बीच बना रहता है। माना जाता है कि यह झील दिन में कई बार अपना रंग बदलती है, जिसके पीछे की वजह पानी में आयरन की मौजूदगी बताई जाती है।
बताया जाता है कि 1962 के युद्ध के दौरान यही वो जगह थी, जहां से चीन ने अपना मुख्य आक्रमण शुरू किया था। भारतीय सेना ने भी चुशूल घाटी के दक्षिण-पूर्वी छोर के पहाड़ी दर्रे रेजांग ला से वीरतापूर्वक युद्ध लड़ा था। पिछले कुछ सालों में चीन ने पैंगोंग झील के अपनी ओर के किनारों पर सड़कों का निर्माण भी किया है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, यह झील यक्ष राज कुबेर का मुख्य स्थान है। माना जाता है कि भगवान कुबेर की ‘दिव्य नगरी’ इसी झील के आसपास कहीं स्थित है। इसका उल्लेख रामायण और महाभारत में भी मिलता है। हालांकि इसमें कितनी सच्चाई है, ये तो शायद ही कोई बता पाए।