जलीकट्टू महोत्सव क्यों मनाया जाता है, इस खेल को खेलने की अनुमति कितने लोगों को मिली है? जानिए

तमिल भाषाविदों के अनुसार “जल्ली” शब्द दरअसल “सल्ली” से बना है जिसका अर्थ “सिक्का” और कट्टू का अर्थ “बांधा हुआ” है| दरअसल “जल्लीकट्टू” सांडों का खेल है जिसमें उसके सींग पर कपड़ा बांधा जाता है और जो खिलाड़ी सांड के सींग पर बांधे हुए इस कपड़े को निकाल लेता है और सबसे लम्बे समय तक सांड के कूबड़ को पकडे रहता है उसे इनाम दिया जाता है।

“जल्लीकट्टू” के प्रकार

“जल्लीकट्टू” महोत्सव के अंतर्गत तीन तरह के खेल का आयोजन किया जाता है:

1. वती विराट्टू: इस खेल में एक सांड को एक बाड़े में छोड़ दिया जाता है और एक निश्चित दूरी और समय में उसे पकड़ने वाले को पुरस्कार दिया जाता है|

2. वेली विराट्टू: इस खेल में एक सांड को खुले मैदान में छोड़ दिया जाता है और सांड को वश में करने वाले प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया जाता है|

3. वातं मंजूविराट्टू: इस खेल में सांड को एक 50 फुट लंबी रस्सी (15 मीटर) से बांधा जाता है और प्रतिभागियों की टीम को एक विशेष समय के भीतर सांड को वश में करना होता है|

जल्लीकट्टू महोत्सव आम तौर पर पोंगल त्योहार के अवसर पर “मट्टू पोंगल के दिन” आयोजित किया जाता है| यह त्योहार तमिलनाडु के अलावा महाराष्ट्र और कर्नाटक राज्यों में भी प्रसिद्ध है|

जल्लीकट्टू” महोत्सव पर रोक लगाने के कारण

दरअसल इस महोत्सव को लेकर एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था जिसमें दिखाया गया था कि महोत्सव से पहले सांडो को शराब पिलाई जाती है। साथ ही दौड़ शुरू होने से पहले सांडो को बुरी तरह से मारा जाता है जिसके कारण जब दौड़ शुरू होती है तो वो गुस्से में बेतहाशा दौड़ते हैं।

इस वीडियों को संज्ञान में लेते हुए “एनीमल वेल्फेयर बोर्ड ऑफ इंडिया”, “पीपुल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनीमल्स (पेटा) इंडिया और बैंगलोर के एक एनजीओ ने इस दौड़ को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी|

इस याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 7 मई 2014 को “जल्लीकट्टू महोत्सव” पर रोक लगा दी थी और साथ ही यह आदेश भी जारी की थी कि रोक केवल तामिलनाडु में ही नहीं बल्कि पूरे देश में लागू होगी। लेकिन केन्द्र सरकार ने 7 जनवरी, 2017 को इस विवादित “जल्लीकट्टू” महोत्सव से रोक हटा दी थी जिसके परिणामस्वरूप सुप्रीम कोर्ट ने 12 जनवरी को केन्द्र सरकार के निर्णय पर स्टे लगा दिया था और एक हफ्ते के भीतर तमिलनाडु, महाराष्ट्र और केन्द्र सरकार से इस संबंध में जवाब मांगा था.

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