जब ट्रेन में स्टीयरिंग नहीं होती है, तो चालक क्या करता है? जानिए
ट्रेन में स्टीयरिंग की कोई ज़रूरत नहीं होती क्योंकि ट्रेन पटरियों पर चलती है और जिधर पटरियों का मुड़ाव होता है ट्रेन उधर ही जाती है।
अब आते हैं आपके प्रश्न पर कि ट्रेन के चालक का कार्य क्या होता है ?
तो ट्रेन के चालक का कार्य बहुत ही जिम्मेदारी वाला होता है। जैसे कि बाइक या कार में gear system होता है वैसे ही ट्रेन में भी ट्रेन कि गति को कम या ज़्यादा करने के लिए कई notches लगी होती हैं, जो कि ट्रेन के इंजन के पहियों पर लगी ट्रेक्शन मोटर की गति को आवश्यकतानुसार घटा या बढ़ा सकती हैं, जो कि चालक करता है। इसके अलावा ट्रेन को रोकने के लिए ब्रेक लगाना, लाल या हरा सिग्नल को देख कर ट्रेन को रोकना या चलाना या फिर आपातकाल की स्थिति में ब्रेक लगाना ये सब काम चालक के ही होते हैं।
हालांकि कुछ देशों में चालक रहित ट्रेनें भी चलाई जा रही हैं जिनमें यह सब स्वचालित है। भारत में भी चालक रहित मेट्रो का परीक्षण किया गया है किन्तु जब बात लम्बी दूरी की ट्रेनों की आती है तो चालक द्वारा ही ट्रेन को चलाना ज्यादा सुरक्षित है।