छत्तीसगढ़ में महिलाएं कुम्हड़ा (कद्दू) नहीं काटती हैं? जानिए क्यों

छत्तीसगढ़ में ये मान्यता वर्षो से चली आ रही है। हिंदू समाज में कुम्हड़ा और रखिया का पौराणिक महत्व है। विभिन्न् अनुष्ठानों में जहां बतौर बकरा के प्रतिरूप में रखिया की बलि दी जाती है।

वहीं कुम्हड़ा को ज्येष्ठ पुत्र की तरह माना जाता है। बस्तर की आदिवासी महिलाएं भी इसे काटने से घबराती है।

लोक मान्यता है कि किसी महिला द्वारा कुम्हड़ा को काटने का आशय अपने बड़े बेटा की बलि देना होता है, इसलिए यहां की महिलाएं पहले किसी पुरुष से पहले कुम्हड़ा के दो टुकड़े करवाती हैं, उसके बाद ही वह इसके छोटे तुकड़े करती हैं।

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